लखनऊ : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की प्रेसिडेंशियल ट्रेन लेकर कानपुर से लखनऊ पहुंचे लोको पायलट काफी खुश दिखे. उन्होंने कहा कि ये लम्हा उन्हें जिंदगीभर याद रहेगा. यह उनके लिए गौरव का क्षण है. साथ ही भारतीय रेलवे के लिए भी यह गौरवशाली अनुभव है. लोको पायलटों ने ख्वाहिश की कि राष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री भी ट्रेन से सफर करें ताकि भारतीय रेलवे का सम्मान बढ़े. प्रेसिडेंशियल ट्रेन लेकर लखनऊ पहुंचे लोको पायलट्स ने 'ईटीवी भारत' से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने अनुभव साझा किए.
सवाल:कैसा लगा आपको प्रेसिडेंशियल ट्रेन से राष्ट्रपति सफर कर रहे थे और आप उसके चालक थे.
जवाब: कई कर्मचारियों के बीच से हम कुछ चुने हुए पायलटों का चयन किया गया. यह हमारे लिए बड़े गौरव की बात है. राष्ट्रपति के लिए ट्रेन का संचालन करना हमारे लिए गौरव की बात है. राष्ट्रपति के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने का लखनऊ डिवीजन को पहली बार मौका मिला है.
प्रेसिडेंशियल ट्रेन के लोको पायलट ने साझा किए अनुभव, कहा यह लम्हा जिंदगी भर रहेगा याद
लोको पायलट की ख्वाहिश है कि राष्ट्रपति के साथ ही प्रधानमंत्री भी ट्रेन से सफर करें. इससे भारतीय रेलवे का सम्मान बढ़ेगा. प्रेसिडेंशियल ट्रेन लेकर लखनऊ पहुंचे लोको पायलट्स ने 'ईटीवी भारत' से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने अनुभव साझा किए.
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सवाल: कानपुर से लखनऊ तक ट्रेन की क्या स्पीड रही.
जवाब: 90 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड मिनिमम और अधिकतम 110 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड निर्धारित की गई थी. 90 की स्पीड से ट्रेन चलाई गई और वास्तविक समय पर ट्रेन लखनऊ पहुंची.
सवाल: कानपुर से कितने बजे ट्रेन रवाना हुई ?
जवाब: 10:20 पर कानपुर से ट्रेन डिपार्चर हुई थी और 11:50 पर लखनऊ स्टेशन पहुंच गई.
सवाल:कुछ और अनुभव जो शेयर करना चाहते हैं?
जवाब:इस ट्रेन में सुरक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी थी. हमारे रेल का आगे नवीनीकरण होगा उसमें राष्ट्रपति के आने से काफी बदलाव आएगा.
सवाल:ट्रेन में कुल कितने कोच थे और कितने अधिकारी मौजूद रहे?
जवाब:ट्रेन में कुल 17 कोच थे जिसमें हमारे कई सीनियर अधिकारी मौजूद रहे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ट्रेन के छठें कोच में मौजूद थे.