लखनऊ: देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) उत्तर प्रदेश के दौरे पर पहुंच चुके हैं. अपने चार दिवसीय दौरे के दौरान राष्ट्रपति कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे. राष्ट्रपति कोविंद 29 अगस्त को अयोध्या जाकर रामलला के दरबार में माथा टेकेंगे और प्रभु श्रीराम के दर्शन करेंगे. कोविंद ऐसे पहले राष्ट्रपति होंगे जो अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर जाकर रामलला के दर्शन करेंगे. वैसे तो राष्ट्रपति दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं, लेकिन भाजपा ने व्यावहारिक समीकरणों को ध्यान रखते हुए इस दौरे के जरिए भविष्य की राजनीति साधने की तैयारी की है.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री. दरअसल उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी हर स्तर पर अपनी तैयारी कर रही है. राम मंदिर के भव्य और दिव्य स्वरूप को लेकर हर स्तर पर तेजी से काम हो रहा है और मंदिर निर्माण को गति देने का भी काम हो रहा है. विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर निर्माण को पूरी तरह से भुनाने का काम करेगी. ऐसे में राष्ट्रपति के अयोध्या दौरे को लेकर व्यावहारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी अपना सियासी समीकरण साधने की कोशिश करेगी.
बता दें कि रामनाथ कोविंद दलित बिरादरी से आते हैं. इसलिए भाजपा आने वाले समय में यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि राष्ट्रपति जैसे पद पर आसीन व्यक्ति भी प्रभु राम लला के दर्शन करते हैं और राम मंदिर भारतीय जनता पार्टी के लिए आस्था का विषय है. भाजपा यह बताने की कोशिश करेगी कि भाजपा के संस्कार ऐसे हैं कि कोई कितने भी बड़े पद पर पहुंच जाए वह अपनी संस्कृति और संस्कार से जुड़ा रहता है. संवैधानिक पद पर बैठे होने के बावजूद वह अपनी आस्था के साथ भी बंधा रहता है. यही कारण है कि राष्ट्रपति कोविंद प्रभु श्रीराम के दर्शन करने का बड़ा फैसला किया है, जो यह व्यक्तिगत आस्था से जुड़ा है.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि भारत का संविधान सेक्युलर अथवा पंथ निरपेक्ष है. इसका मतलब है कि स्टेट नीतियों के निर्धारण में धर्म या मजहब के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा. लेकिन यह संवैधानिक व्यवस्था संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों के व्यक्तिगत धार्मिक आचरण व्यवहार पर लागू नहीं होती. उन्होंने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष होते हुए भी सोमनाथ मंदिर के समारोह में सम्मलित हुए थे. उनका यह कार्य संवैधानिक प्रावधान के अनुकूल था. इसी प्रकार वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अयोध्या में श्रीराम लला विराजमान के दर्शन के लिए जा रहे हैं, उनकी यह यात्रा भी संविधान के अनुरूप है. क्योंकि राम मंदिर निर्माण समस्या का समाधान भी संविधान की व्यवस्था के अनुरूप है.
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डॉ. दिलीप अग्निहोत्री ने कहा कि पांच सदियों से चली आ रही इस संवेदनशील समस्या का सौहार्द पूर्ण समाधान हुआ है. रामनाथ कोविंद ने मंदिर निर्मांण समर्पण निधि में पांच लाख रुपये दिए थे, यह उनका व्यक्तिगत आस्था का निर्णय था. संविधान इस पर कोई रोक नहीं लगाता है. राजनीतिक विश्लेषक डॉ अग्निहोत्री कहते हैं कि अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का आर्थिक पर्यटन व तीर्थाटन विकास पहलू भी समाहित है. दुनिया के अनेक देशों ने दशकों पहले अपने ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों का पर्यटन की दृष्टि से विकास किया. रामनाथ कोविंद की अयोध्या यात्रा व्यापक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है और स्वागत योग्य है.