लखनऊ : शहर की सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी है. पूरे शहर में सफाई कराने वाली 34 कार्यदायी संस्थाओं को हटाकर सभी आठ जोन के लिए अलग-अलग आठ कंपनियां लगाई जाएंगी. इनका चयन टेंडर से होगा. इसके लिए नगर निगम प्रशासन ने ई-टेंडर पोर्टल पर निविदा अपलोड कर दी है. इसके लिए नए नियम व शर्तें भी तय हो गई हैं. अब नई व्यवस्था को लेकर विपक्ष के साथ बीजेपी के ही पार्षद विरोध में खड़े हो गए हैं. अब पार्षदों के साथ कुछ कर्मचारी नेताओं ने भी ठेकेदारों की शह पर इसका विरोध शुरू कर दिया है. सोमवार को भाजपा पार्षदों ने नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह से मिलकर टेंडर जारी करने पर आपत्ति दर्ज कराई. महापौर के सामने भी पूरे मामले को रखा, लेकिन नगर आयुक्त ने टेंडर को निरस्त करने के बजाए पार्षदों से सुझाव मांग लिये, वहीं कर्मचारी नेताओं ने कर्मियों को वेतन न मिलने पर मंगलवार को प्रदर्शन की चेतावनी जारी कर दी है.
मालूम हो कि नगर निगम अभी कार्यदायी संस्थाओं के जरिए सफाई का काम कराता है. पर्यावरण अभियंता की ओर से जो टेंडर जारी किया गया है, उसके अनुसार जोनवार आठ कंपनियों का चयन किया जाएगा. इन कंपनियों को झाडू लगाने के साथ ही, स्वास्थ्य विभाग के नाले, नालियों की सफाई, कूड़ा उठान व प्लांट तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी होगी. इसके साथ ही एमआरएफ सेंटर की स्थापना व संचालन, मैनुअल व मैकेनिकल रोड स्वीपिंग की भी जिम्मेदारी रहेगी. यह टेंडर जारी होने पर बवाल खड़ा हो गया है. विरोध दर्ज कराने पहुंचे भाजपा पार्षद राजेश सिंह गब्बर, मुकेश सिंह मोंटी, प्रमोद राजन, शैलेंद्र वर्मा का कहना है कि 'जोनवार टेंडर देने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसमें सिर्फ कूड़ा उठान व ट्रांसपोर्टेशन को ही रखा जाए, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने वार्डों में पूरी सफाई का जिम्मा भी निजी हाथों में देने की तैयारी कर ली है. यही नहीं, 15 वर्षों तक के लिए कंपनियों के साथ अनुबंध होगा. पार्षदों का कहना है कि नई कंपनियों का हाल भी इकोग्रीन व ईईएसएल व सुएज जैसा होगा. पार्षदों की मांग है कि मौजूदा वक्त में मोहल्लों में जिन कार्यदायी संस्थाओं के पास सफाई का जिम्मा है उन्हें ही काम दे दिया जाए.'
भाजपा पार्षद व कार्यकारिणी सदस्य रंजीत सिंह का कहना है कि 'नगर निगम के अधिकारी कई वर्षों से सफाई को लेकर रिसर्च कर रहे हैं. अधिकारियों को अगर पार्षदों की सुननी ही नहीं है तो फिर जनता के बीच से चुनकर आने का हमारा क्या मतलब है? भाजपा पार्षद राजेश सिंह का कहना है सदन में ऐसा कोई प्रस्ताव भी पास नहीं कराया गया. इस तरह के नीतिगत निर्णय को कार्यकारिणी से पास कराया जाना चाहिए. 22 अगस्त से टेंडर डाले जा सकेंगे, जिसकी अंतिम तिथि 18 सितंबर है. 29 अगस्त को प्री बिड मीटिंग नगर निगम में होगी. 20 सितंबर को तकनीकी बिड खुलेगी और फिर फाइनेंशियल बिड के बाद नई व्यवस्था लागू हो जाएगी.'