लखनऊ : देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद, आगरा व प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था (police commissionerate) लागू करने की तैयारी है. इसके लिए पुलिस महानिदेशक ने गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा है. सूत्रों के मुताबिक, गृह विभाग द्वारा सीएम के अनुमोदन के लिये जल्द ही प्रस्ताव भेजा जायेगा.
गाजियाबाद समेत तीन शहरों में लागू हो सकती है पुलिस कमिश्नरी, डीजीपी ने भेजा प्रस्ताव
देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद, आगरा व प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था (police commissionerate) लागू करने की तैयारी है. इसके लिए पुलिस महानिदेशक ने गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा है. सूत्रों के मुताबिक, गृह विभाग द्वारा सीएम के अनुमोदन के लिये जल्द ही प्रस्ताव भेजा जायेगा.
यूपी में योगी के दोबारा सीएम बनने के बाद राज्य के कई और शहरों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने की बात कही जा रही थी. हालांकि सीएम योगी पिछली सरकार में ही कुछ शहरों में इसे लागू करने के पक्ष में थे, लेकिन बाद में चुनाव की तारीख घोषित होने के कारण इसका ऐलान नहीं हो सका. वहीं अब बीजेपी की सरकार बनने और सीएम योगी के दोबारा सीएम बनने के बाद गृह विभाग व डीजीपी मुख्यालय अपनी तैयारियों में जुटा हुआ था. जानकारी के मुताबिक, यूपी के तीन शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया जा सकता है, जबकि राज्य के चार शहरों में ये पहले से ही लागू है. यूपी के लखनऊ, वाराणसी, गौतमबुद्धनगर और कानपुर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है.
आबादी के हिसाब से पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू करने की रेस में गाजियाबाद का नाम सबसे ऊपर है. इसके पीछे कारण यह माना जा रहा है कि गाजियाबाद से सटे दिल्ली व एनसीआर हैं, जहां अपराध और अपराधियों का बोलबोला रहता है. दिल्ली व इसके आसपास के अन्य राज्यों के सभी प्रमुख शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है. केवल गाजियाबाद में नहीं है, इसलिए इसकी मांग की जा रही है. हाईकोर्ट व आबादी के हिसाब से उत्तर प्रदेश के बड़े शहर प्रयागराज में भी इसकी जरूरत बताई जा रही है. इसी तरह आगरा आबादी के हिसाब से बड़ा शहर है.
क्या है पुलिस कमिश्नरी सिस्टम? :आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया था. उस वक्त सारी न्यायिक शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास होती थी. पुलिस कमिश्नरी सिस्टम पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है. देश आजाद होने के बाद यह प्रणाली वक्त के साथ-साथ दूसरे महानगरों में भी लागू की गई. यही वजह है कि अब भारत के कई महानगरों में यह प्रणाली लागू है. इस व्यवस्था में पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता है, क्योंकि डीएम के कई अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं. इस प्रणाली में पुलिस खुद ही किसी भी हालात में कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसले ले सकती है.
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