लखनऊ: राजधानी के अस्पतालों में क्रिटिकल केयर की व्यवस्था चरमराई हुई है. एक तरफ जहां आईसीयू में मरीजों के लिए बेडों का संकट है. दूसरी ओर संचालित यूनिटों में उपकरण खराब है. ऐसे में गंभीर मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. सिविल अस्पताल के पीआईसीयू में एबीजीए मशीन कई दिनों से खराब है, जिससे भर्ती गंभीर बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा है.
402 बेड की व्यवस्था
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में 402 बेड की व्यवस्था है. यहां पर साल भर पहले आठ बेड का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) का निर्माण कराया गया है. करोड़ों रुपये के नए वेंटिलेटर और अन्य मशीनें लगाई गई हैं. कुछ ही दिनों में इन मशीनों में खराबी आने लगी है. यूनिट में करीब 30 लाख की लगी नई एबीजीए मशीन जनवरी में खराब हो गई थी. गंभीर इलाज के लिए भर्ती बच्चों को इलाज नहीं मिल पा रहा है.
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इस यूनिट में 6 माह से 12 वर्ष तक के बच्चों का इलाज किया जाता है. यह बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर आते हैं. ऐसे में उनकी सेहत की रियल टाइम मॉनिटरिंग जरूरी है. एबीजीए (आर्टिरियल ब्लड गैस एनॉलाइजर) खराब होने से भर्ती गंभीर बच्चों के ब्लड में मौजूद ऑक्सीजन, कार्बन डाई ऑक्साइड, सोडियम-पोटेशियम का समय पर आंकलन नहीं हो रहा है. इससे उनकी जान को खतरा बना हुआ है.
प्राइवेट से जांच कराने को मजबूर तीमारदार
पीआईसीयू में एबीजीए से पांच मिनट में जांच मुमकिन थी. इसके लिए भर्ती बच्चे की हाथ की नस या पैर की नस से ब्लड सैम्पल लिया जाता है. मशीन में ब्लड लगाते ही वह ऑटोमेटिक ब्लड में गैस की मात्रा को पांच मिनट में रीड कर लेती है. लिहाजा, डॉक्टर बच्चे के शरीर में गैसेस का आंकलन पर उसकी गंभीरता के आधार पर सटीक उपचार मुहैया करा देते हैं. सिविल अस्पताल में जनवरी अंत से पीआईसीयू की मशीन खराब है. तीमारदार निजी पैथोलॉजी से महंगी जांच कराने को मजबूर हैं. अस्पताल में मुफ्त में होने वाली जांच के लिए निजी केंद्रों पर 700 रुपये अदा करना पड़ रहा है.
अस्पताल के निदेशक डॉ. एससी सुंदरियाल ने कहा कि उनको हाल में ही अस्पताल का चार्ज मिला है. एबीजीए मशीन खराब होने का मामला संज्ञान में आया है. यह मशीन गारंटी में है. कंपनी के इंजीनियर को मशीन के जल्द मरम्मत के लिए कहा गया है.