लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में देशवासियों से अयोध्या मामले में संयम बनाए रखने की अपील की है. उनकी इस अपील का राजधानी लखनऊ में बुद्धिजीवी वर्ग ने व्यापक स्तर पर स्वागत किया है. शकुंतला विश्वविद्यालय के पूर्व डीन और अर्थशास्त्री प्रोफेसर ए. पी. तिवारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि भगवान राम करोड़ों हिंदुओं और भारत वासियों के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम होने के साथ ही न्याय के प्रतीक भी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद बोले लोग, न्यायालय का फैसला सर्वोपरि - अयोध्या राम मंदिर केस
'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अयोध्या मामले में न्यायालय का फैसला मानने और देश की एकता बनाए रखने की अपील की है. राजधानी लखनऊ में प्रधानमंत्री के फैसले का बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है. भगवान राम को न्याय प्रिय बताते हुए लोगों ने कहा कि न्यायालय का सम्मान भगवान राम का सम्मान है.
भगवान राम थे न्यायप्रिय
भगवान राम को न्याय प्रिय माना जाता है. ऐसे में न्याय व्यवस्था पर विश्वास बनाए रखना भगवान राम पर विश्वास करने जैसा है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का जो भी फैसला आता है उसका सम्मान और अनुपालन करना हर भारतवासी और भगवान राम के भक्तों का धर्म है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र प्रमुख होने के नाते अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करने के साथ ही देश और समाज के व्यापक हित में देशवासियों से यह अपील की है. इसका दूरगामी असर देखने को मिलेगा.
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राम नहीं है राजनीती का मामला
प्रधानमंत्री की अपील को महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम करार देते हुए विश्लेषक योगेश मिश्र कहते हैं कि अयोध्या मामले पर राजनीतिक दल कई दशक से भड़काऊ राजनीति करते रहे हैं. समस्या के समाधान के बजाय राजनीतिक हितों के लिए विवाद को उलझाने में राजनीतिक दलों की दिलचस्पी ज्यादा रही है. ऐसे में प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से ठीक पहले देशवासियों से संयम बरतने की अपील की है. उससे दूसरे राजनीतिक दलों को अपने दांव चलने में मुश्किल होगी. इस कदम से प्रधानमंत्री भी जातिवाद और सांप्रदायिकता को नकार चुके युवा वर्ग को अपने साथ चलने के लिए विकास का एजेंडा देने में कारगर रहे हैं.