लखनऊ:संस्कृति और पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित वाजिद अली शाह अवध महोत्सव की दूसरी संध्या संगीत की विभिन्न विधाओं से सजकर गुलदस्ते की तरह खूबसूरत नजर आई. शनिवार को गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में गायन, वादन और नृत्य के बेहतरीन कार्यक्रम हुए. कव्वाली और कथक की शानदार प्रस्तुति ने लखनऊवासियों का मन मोहा.
हिन्दुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की शैलियों का दिखा समन्वय
कार्यक्रम का आगाज भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय की ओर से वाद्यवृंद की प्रस्तुति से हुआ. जिसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया. विश्वविद्यालय के समूह ने राग काफी, राग बहार और राग मियां की मल्हार और जनसम्मोहिनी की स्वर-सरिता बहाई. प्रस्तुति में जहां हिन्दुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत की शैलियों का समन्वय था. वहीं होली पर आधारित रचनाएं भी प्रस्तुत की गईं. वाराणसी से आईं शिवानी शुक्ला आचार्य ने भजन गायन किया. उन्होंने कई रचनाएं प्रस्तुत कीं, जिनमें बाजे रे मुरलिया, होरी खेलैया और बतावा मितवा कहां नाही हो भोला शामिल थे.