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मौसम बदलने से बढ़ रहे एंग्जायटी के मरीज, विशेषज्ञ ने बताए लक्षण और बचाव के तरीके

लखनऊ सिविल अस्पताल में 50 से 60 मरीज घबराहट, बेचैनी, उलझन और चक्कर आने की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. चिकित्सकों को कहना है कि बदलते मौसम के कारण एंग्जायटी के मरीज बढ़ रहे हैं. ये समस्या दो से तीन दिन के लिए होती है. लेकिन ज्यादा होने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

एंजाइटी से पीड़ित मरीज, ऐसे रखें अपना ख्याल
एंजाइटी से पीड़ित मरीज, ऐसे रखें अपना ख्याल

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Published : May 14, 2023, 4:30 PM IST

मौसम बदलने के कारण बढ़े एंग्जायटी से पीड़ित मरीज

लखनऊ: मौसम में तेजी से परिवर्तन हो रहा है और इस परिवर्तन के चलते बहुत सी चीजें बदल रही हैं. सिविल अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह का कहना है कि इन दिनों अस्पताल में 50 फीसदी मरीज ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हे घबराहट, बेचैनी हो रही है और चक्कर आ रहे हैं. मौसम में परिवर्तन होने के कारण मरीज एंग्जायटी से पीड़ित हो जाता है. ऐसा इसलिए भी है कि मरीज पोस्ट कोविड से पीड़ित हैं. जिस तरह से हार्टअटैक के केस बढ़े हैं, उसी तरह से इस समय एंग्जायटी से पीड़ित मरीजों की संख्या भी बढ़ी है.

मौसम बदलने के कारण बढ़े एंजाइटी से पीड़ित मरीज
सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि इस समय मौसम में परिवर्तन हुआ है. कुछ दिन पहले बारिश हुई थी फिर उसके बाद मौसम खुशनुमा रहा. अब जाकर कड़क धूप हो रही है ऐसे में शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं. अस्पताल की ओपीडी में इस समय एंग्जायटी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि 40 से 50 मरीज ऐसे आते हैं. जिन्हें घबराहट, बेचैनी, उलझन होती है और फिर चक्कर आता है.
इस तरह के मरीजों की संख्या काफी बड़ी है. साफ शब्दों में कह सकते हैं कि पोस्ट कोविड के मरीज बढ़े हैं. यह मरीज जो आ रहे हैं यह पहले कोविड से पीड़ित हो चुके हैं. जिन मरीजों को पहले कोविड हुआ, उस मरीज को अब सांस लेने में समस्या या फिर हार्ट अटैक की समस्या हुई है. उसी तरह से इस समय घबराहट, बेचैनी और उलझन की समस्या लेकर मरीज मनोरोग विभाग में आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि जो मरीज घबराहट, बेचैनी और उलझन की समस्या के साथ आ रहे हैं. वह अन्य ओपीडी से रेफर होकर आए हैं. जब भी कोई मरीज इस तरह का हमारे पास आता है तो सबसे पहले हम उसे कार्डियोलॉजी विभाग में भेजते हैं या फिर जनरल फिजिशियन के पास भेजते हैं. ताकि उसकी प्राथमिक जांच हो सके और इसका पता लग सके कि मरीज का बीपी और पल्स रेट क्या है. जब बीपी और पल्स रेट की रिपोर्ट आ जाती है और उसमें सब कुछ नॉर्मल होते हुए भी मरीज को इस तरह के लक्षण हो रहे हैं. तब हम मरीज को देखते हैं क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि बीपी कम या ज्यादा हो जाने के कारण भी मरीज को घबराहट, बेचैनी और उलझन होती है. जब सारी रिपोर्ट नॉर्मल आती है. उसके बाद मरीज की एंजाइटी का ट्रीटमेंट शुरू होता है.फिलहाल यह सिर्फ दो-तीन दिन के लिए मरीजों को हो रहा है.
राजाजीपुरम से सिविल अस्पताल में इलाज कराने पहुंची श्रेया मिश्रा ने बताया कि रविवार को वह इमरजेंसी में दिखाने के लिए आई हैं. श्रेया ने कहा कि दो-तीन दिनों से बहुत ज्यादा घबराहट और बेचैनी हो रही है. यहां तक कि जब स्कूटर चलाते हैं या चलते हैं तो चक्कर भी आता है. इसके अलावा सोते वक्त आंख बंद करने पर सब कुछ घूमता हुआ दिखाई देता है यानी कि लेटने के बाद भी चक्कर आता है. श्रेया ने कहा कि तीन दिन से ऐसा हो रहा था तो इसलिए आज हम अपनी जांच कराने के लिए आए हैं. डॉक्टर ने फिलहाल कुछ दवाएं दी हैं और सोमवार को मनोरोग विभाग की ओपीडी में दिखाने के लिए कहा है.
हजरतगंज से सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में दिखाने के लिए आए राहुल जैन ने बताया कि बीती रात से बहुत घबराहट और बेचैनी हो रही थी. जबकि हमने कुछ सोचा नहीं, किसी बात की कोई टेंशन नहीं. फिर भी इस तरह से हो रहा है तो सोचा अस्पताल में आकर दवाई ले लें. राहुल ने कहा कि दिल की धड़कन बहुत तेजी से चल रही है और बेचैनी हो रही है. खाना पीना खाने का मन नहीं कर रहा घबराहट इतनी हो रही है, शरीर कांप रहा है. इमरजेंसी में आकर बीपी की जांच कराई. डॉक्टर कह रहे हैं कि बीपी नार्मल है सोमवार को ओपीडी में आने के लिए कहा है. इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने कहा कि शायद एंजाइटी की वजह से घबराहट और बेचैनी हो रही है. फिलहाल कुछ दवाई उन्होंने दी हैं.
एंग्जायटी के लक्षण- घबराहट, तनाव और बेचैनी महसूस होना.- हर वक्त नकारात्मक विचार और खतरे का अहसास होना.- बार-बार एक ही समस्या के बारें में सोचते रहना.- नींद आने में समस्या होना.- कई बार सांस लेने में दिक्कत होना या सामान्य से ज्यादा तेज सांस लेना.- जी मिचलाना- सिर चकराना और बार-बार मुंह का सूखना.
एंग्जायटीसे बचाव:डॉ. दिप्ती ने बताया कि व्यक्ति को चिंता किसी भी चीज से किसी भी समय हो सकती है. लेकिन अगर सही समय पर उसका इलाज न किया जाए तो यह अवसाद का रूप ले सकती है. पीड़ित व्यक्ति को घबराहट और चिंता के दौरे पड़ सकते हैं. हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते है, लेकिन इस समस्या की गंभीरता को कम नहीं समझना चाहिए. अगर एंग्जायटी के एक भी लक्षण से आप या आपके परिवार का कोई व्यक्ति या जान पहचान का कोई इंसान पीड़ित है तो सबसे अच्छा यही है कि इलाज के लिए आप किसी अच्छे चिकित्सक, मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक की मदद लें. एंग्जायटी का इलाज दवाओं और काउंसलिंग दोनों के मिले-जुले इस्तेमाल से बेहद आसानी से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एंग्जायटी की समस्या होने पर उसका हल ये नहीं है कि आप उसे अंतिम सत्य मानकर बैठ जाएं. हिम्मत करके समस्या का सामना करें. एक न एक दिन ये एंग्जायटी आपसे जरूर दूर हो जाएगी.

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