लखनऊ: राजधानी लखनऊ में कोरोना महामारी की वजह से अन्य मर्जों के मरीजों की परेशानियां भी बढ़ रही हैं. प्रदेश में ऑर्गन ट्रांसप्लांट यानि अंग प्रत्यारोपण जैसी जटिल कवायदों पर भी विराम लग गया है. इसके चलते ट्रांसप्लांट के जरूरतमंद मरीजों और उनके परिवारों के समक्ष नया संकट खड़ा हो गया है.
अस्पतालों की स्थिति
राजधानी लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधाएं उपलब्ध है, मगर कोरोना वायरस के कारण इन सभी जगहों पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट के कई मामले लंबित हैं. अकेले एसजीपीजीआई में लगभग 16 केस की तारीख आगे बढ़ा दी गई है तो वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भी 3 ट्रांसप्लांट अटके हुए हैं.
यह थी पूर्व में स्थिति
अस्पतालों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की बात की जाए तो संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया होती है. यहां पर जनवरी में 11, फरवरी में 11 और 23 मार्च तक 8 किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं. वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में जनवरी में 3, फरवरी में 1 और मार्च में 2 किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किए गए हैं. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के तहत लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया की जाती है. यहां पर जनवरी से मार्च के बीच में एक लिवर ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया है.
क्या कह रहे विशेषज्ञ
राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एके. त्रिपाठी कहते हैं कि उनके संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट होता है और यह औसतन महीने में तीन होते हैं, लेकिन 15 मार्च के बाद से इसे बंद कर दिया गया है, क्योंकि यह इलेक्टिव सर्जरी प्रोसीजर के तहत आता है. इसकी वजह से 3 मरीजों के किडनी ट्रांसप्लांट का उनके यहां प्लान था, लेकिन उन्हें स्थगित किया गया है, लेकिन मरीजों का नुकसान नहीं होने दे रहे हैं. उन्हें डायलिसिस पर रखा गया है. उनका कहना हैं कि वो प्रयास करेंगे कि ट्रांसप्लांट प्रक्रिया जब भी दोबारा शुरू हो तो इनकी संख्या में बढ़ोतरी की जाए.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह की माने तो केजीएमयू में लीवर प्रत्यारोपण का कार्य भली-भांति हो रहा था. कोरोना वायरस की वजह से जो संकट चल रहा है, इसे देखते हुए फिलहाल के लिए विभाग में जो लीवर प्रत्यारोपण थे, उन्हें पाइपलाइन में रखा गया है. डॉ. सिंह ने बताया कि लीवर प्रत्यारोपण के लिए 3 रोगी उनके पास हैं, जिनकी देखरेख की जा रही है और जैसे ही इलेक्टिव सर्जरी के प्रोसीजर शुरू होगी, वैसे ही वो इन मरीजों को ट्रांसप्लांटेशन की सुविधा उपलब्ध करा देंगे.