लखनऊ : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और निपुण भारत मिशन को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा कक्षा एक में प्रवेश की आयु सीमा 6 वर्ष निर्धारित किये जाने के बाद अब अब निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों के भविष्य को लेकर संकट के बादल मंडराना शुरू हो गए हैं. प्रदेश में मौजूदा समय में अभी तक प्री-स्कूल ढाई वर्ष की उम्र से ही बच्चों का प्रवेश ले लेते थे. जिससे पांच वर्ष की उम्र में बच्चे का दाखिला पहली क्लास में हो जाता था, लेकिन अब चार वर्ष के पहले प्रवेश लेना प्रतिबंधित माना जायेगा. वहीं जिन बच्चों की पढ़ाई चल रही है उनके लिए अगले वर्ष यह नियम की बाध्यता चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
लखनऊ प्री-स्कूल्स एसोसिएशन के मुताबिक, यूपी में प्री-स्कूल (नर्सरी, एलकेजी, यूकेजी) की संख्या तकरीबन 1.5 से 2 लाख के करीब है. बड़े शहरों में इनकी संख्या छोटे शहरों की अपेक्षा अधिक है. अकेले लखनऊ में एक हजार से ऊपर की संख्या में प्री-स्कूल्स संचालित हो रहे हैं, वहीं सरकारी क्षेत्र पर नजर डालें तो प्रदेश में संचालित 1.88 लाख आंगनबाड़ी केन्द्रों के जरिए बाल-वाटिका के अंतर्गत 5 से 6 वर्ष के बच्चों की शिक्षा बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के समन्वय से प्री-प्राइमरी की पढ़ाई कराई जा रही है. ऐसे में पिछले दिनों अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन दीपक कुमार के स्तर से जारी आदेश ने निजी प्री-स्कूल संचालकों को नये सिरे से गाइडलाइन तैयार करने को कह दिया है, जिससे कक्षा एक में प्रवेश के समय बच्चे की आयु 6 वर्ष सुनिश्चित हो सके. सरकार के इस आदेश के बाद प्री-स्कूल संचालकों को 2.5 साल के मानक में बदलाव करना होगा.
प्रदेश में कक्षा एक में प्रवेश की आयु के निर्धारण के बाद निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों के लिए यह है तैयारी महानिदेशक के साथ होगी बैठक :फिलहाल इस बारे में लखनऊ प्री-स्कूल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी तुषार चेतवानी ने बताया कि 'इस बावत एसोसिएशन की तरफ से मंगलवार को महानिदेशक, स्कूली शिक्षा के साथ बैठक की जायेगी. उनका कहना है कि नई गाइडलाइन तैयार करने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, बशर्ते फार्मल स्कूल जहां अभिभावक अपने बच्चे को पहली कक्षा में दाखिला दिलाते हैं, वहां पर इसका पालन कराया जाये. उन्होंने बताया कि आज हर स्कूल की अलग-अलग क्राइटेरिया है. कोई पांच वर्ष होने पर ही बच्चे का प्रवेश ले लेता है तो कोई साढ़े पांच वर्ष पर, यदि फार्मल स्कूलों के लिए एक कॉमन गाइडलाइन बने तो हमें कोई दिक्कत नहीं है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारे बच्चे ओवरएज हो जायेंगे. फिलहाल, महानिदेशक से वार्ता के बाद ही कुछ हल निकल सकेगा.'
प्रदेश में कक्षा एक में प्रवेश की आयु के निर्धारण के बाद निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों के लिए यह है तैयारी नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 पर जोर :नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत 5+3+3+4 पर जोर दिया गया है. इसका तात्पर्य पहले पांच वर्ष में फंडामेंटल की पढ़ाई होगी. इसमें नर्सरी के लिए 4 वर्ष, जूनियर केजी के लिए 5 वर्ष, सीनियर केजी के लिए 6 वर्ष, पहली क्लास के लिए 7 वर्ष, दूसरी क्लास के लिए 8 वर्ष बच्चे की उम्र होनी चाहिए. फंडामेंटल के बाद प्रिपरेटरी (प्रारंभिक शिक्षा) के तहत तीसरी क्लास के लिए 9 वर्ष, चौथी क्लास के लिए 10 वर्ष, पांचवीं के लिए 11 वर्ष बच्चे की आयु सीमा तय की गयी है. मिडिल के अंतर्गत छठीं कक्षा के लिए 12 वर्ष, सातवीं कक्षा के लिए 13 वर्ष, आठवीं कक्षा के लिए 14 वर्ष होनी चाहिए. इसी तरह सेकेंडरी के लिए कक्षा 9 में प्रवेश के लिए 15 वर्ष, कक्षा दस में प्रवेश के लिए 16 वर्ष, कक्षा 11 में प्रवेश के लिए 17 वर्ष और कक्षा 12 में प्रवेश के लिए 18 वर्ष उम्र होना जरूरी है.
प्रदेश में कक्षा एक में प्रवेश की आयु के निर्धारण के बाद निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों के लिए यह है तैयारी अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन दीपक कुमार का कहना है कि 'कक्षा एक में प्रवेश को लेकर अभी गाइडलाइन जारी की गयी है. जहां तक प्री-स्कूल्स और फार्मल स्कूल्स का प्रश्न है तो इसे भी देखा जायेगा कि उनके यहां बोर्ड के क्या निर्देश हैं. वैसे यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पार्ट है, इसलिए यह सभी पर प्रभावी होगा.'
प्रदेश में कक्षा एक में प्रवेश की आयु के निर्धारण के बाद निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों के लिए यह है तैयारी अगले दो साल रहेगी दिक्कत :लखनऊ प्री-स्कूल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी तुषार चेतवानी ने बताया कि 'अगले दो साल इस नियम के लागू होने के बाद से काफी दिक्कतें रहने वाली हैं. उन्होंने बताया कि राजधानी में जितने भी प्री स्कूल संचालित हैं वहां पर पढ़ रहे बच्चों के इस ग्रुप में काफी अंतर है. ऐसे में 6 वर्ष में कक्षा 1 में प्रवेश लेने के आदेश में अगर कुछ नरमी नहीं बरती गई तो अगले साल जब बच्चा स्कूलों में प्रवेश के लिए जाएगा तो किसी की उम्र अधिक होगी तो किसी की उम्र काफी कम होगी. ऐसे में उनके अभिभावकों को दोबारा से अपने बच्चों को वहीं क्लास पढ़ाना पड़ सकता है. सरकार ने जैसे इस साल 3 महीने का रिलैक्सेशन अभिभावकों को प्रदान किया है यह छूट अगले कुछ वर्षों के लिए भी उन्हें प्रदान करना चाहिए ताकि प्री स्कूलों में जो बच्चे इस सत्र से पहले प्रवेश ले चुके हैं उन्हें कोई दिक्कत ना हो.'
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