लखनऊः जिन्ना से लेकर हिंदुत्व और रामभक्ति को लेकर दिए गए विपक्ष के बयानों को बीजेपी अब विधानसभा चुनाव में भुनाने में लगी है. अखिलेश यादव ने जिन्ना की तुलना सरदार पटेल और महात्मा गांधी से की थी, सलमान खुर्शीद ने हिंदुत्व की बराबरी बोको हरम और आईएसआईएस से की और राशिद अल्वी ने रामभक्तों की बराबरी कालनेमि राक्षस से करके बीजेपी को बैठे-बिठाए एक चुनावी मुद्दा दे दिया है. जिस पर बीजेपी विपक्ष को हिंदुत्व विरोधी साबित करने में लगी है. और यही एक ऐसा मुद्दा है जहां भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव 2022 में धुव्रीकरण चाह रही है.
भारतीय जनता पार्टी की झोली में ये मुद्दे विपक्ष ने पिछले 10 से 15 दिनों के भीतर दिए हैं. इसकी शुरुआत सबसे पहले एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने की थी. अखिलेश यादव ने हरदोई की अपनी एक जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना की बराबरी सरदार पटेल और अन्य बड़े स्वतंत्रता सेनानियों से की थी. बीजेपी ने जब इस बात को मुद्दा बनाया, तब भी अखिलेश यादव अपने बयान से पीछे नहीं हटे थे. उन्होंने बीजेपी समर्थकों को इतिहास पढ़ने की सलाह दी थी. अखिलेश यादव के जिन्ना संबंधित बयान के समर्थन में सुहेलदेव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी खड़े हो गए थे. ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि अगर जिन्ना इस देश के प्रधानमंत्री होते तो देश का बंटवारा ही नहीं होता. ओमप्रकाश राजभर के बयान पर हंगामा खत्म भी नहीं हुआ था कि सलमान खुर्शीद की किताब का नया बवाल सामने आ गया.
खुर्शीद की इस किताब में उल्लेख था कि हिंदुत्व और आतंकवादी संगठन बोको हरम और आईएसआईएस की विचारधारा में कोई अंतर नहीं है. इस मुद्दे पर भी राष्ट्रीय स्तर पर बहस खड़ी हो गई और भारतीय जनता पार्टी ने इस पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था. ये मुद्दा हल्का भी नहीं हुआ था कि राशिद अल्वी ने भी आग में घी डालने का काम किया और कहा कि आज के रामभक्त रामायण काल के राक्षस कालनेमि के समान हैं. कुल मिलाकर विपक्ष बीजेपी को एक मुद्दे गिफ्ट में देती जा रही है, जिसपर बीजेपी अपनी चुनावी नैया 300 पार करने का दम भर रही है.