लखनऊ :मॉल के अंदर नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद लगातार बवाल जारी है. इस मामले को हिंदूवादी संगठनों ने बड़ा मुद्दा बना लिया है. नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद कई हिंदूवादी संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी और प्रदर्शन भी किया था. इसके बाद मॉल के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ करने का वीडियो भी वायरल हुआ था, तब यह मामला और तूल पकड़ने लगा. लुलु मॉल पर लगातार हो रहे बवाल के बीच प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ में भी राजनीति करने वालों के खिलाफ सख्त रुख कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. मंगलवार को पुलिस ने मॉल के अंदर नमाज पढ़ने वाले 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. कई हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मॉल के अंदर नमाज पढ़ने के पीछे बड़ी साजिश रची गई है.
अब इस मामले में साजिश बाली अटकलों पर पुलिस प्रशासन ने नकार दिया है. एडीसीपी साउथ राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों ने पूछताछ में बताया कि असर की नमाज का समय हो गया था. इसलिए मॉल में जगह ढूंढकर वह दूसरी मंजिल पर नमाज पढ़ने चले गए. सुरक्षा कर्मियों ने रोका, तो युवकों ने उनसे अनुरोध(Request) की थी. कई बार अनुरोध करने के बाद मॉल के गार्ड ने नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी. नमाज के बाद सभी लोग ऑटो से वापस चले गए. गिरफ्तार किए गए युवकों ने बताया कि उन्हें नहीं पता था, कि नमाज को लेकर इतना बड़ा विवाद हो जाएगा.
गिरफ्तार किए गए आरोपी भेजे गए जेल, न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया
बिना अनुमति के लुलु मॉल में नमाज पढ़कर धार्मिक माहौल खराब करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए मो. लुकमान समेत 4 अभियुक्तों को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने आगामी 1 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. कोर्ट के समक्ष अभियोजन पक्ष ने सहायक अभियोजन अधिकारी सोनू सिंह राठौर ने कोर्ट से अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजे जाने का अनुरोध किया था.
अभियोजन पक्ष ने अपील की थी, कि इस प्रकरण की रिपोर्ट लुलु मॉल के पीआर मैनेजर सिबतैन हुसैन ने गत 14 जुलाई को थाना सुशांत गोल्फ सिटी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि 12 जुलाई को लुलु मॉल परिसर में अज्ञात लोगों द्वारा मॉल प्रबंधन की अनुमति व जानकारी के बिना धार्मिक कार्रवाई की गई है. कहा गया है कि लू-लू मॉल प्रबंधन किसी प्रकार का संगठित कार्य करने की अनुमति नहीं देता है. रिपोर्ट के आधार पर अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था.