लखनऊ: कोरोना काल में मेडिकल की पढ़ाई भी चरमरा गई है. छात्रों के क्लास, प्रैक्टिकल बंद हो गए. इलाज के लिए कोविड ड्यूटी लगा दी गई. वहीं ओपीडी बंद होने से पीजी, सुपर स्पेशियलिटी के छात्रों के रिसर्च प्रोजेक्ट फंस गए. उनके थीसिस के लिए तय सैंपल नहीं जुट सके. ऐसे में एनएमसी ने राहत देकर हजारों स्टूडेंट का टेंशन दूर कर दिया है.
राज्य में 51 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें 22 सरकारी व 29 निजी मेडिकल कॉलेज हैं. कोरोना काल में इनमें शैक्षिक सत्र बाधित रहा. खासकर, ओपीडी बंद होने से एमडी-एमएस, डीएम-एमसीएच के छात्रों की थीसिस फंस गई. रिसर्च के लिए तय किए सैंपल छात्र नहीं जुटा सके. ऐसे में नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने छात्रों को छूट दे दी है. छात्रों के पास मौजूदा सैंपल के आधार पर ही एनालिसिस कर स्टडी फाइनल के निर्देश दिए हैं. वहीं तीन माह की अतिरिक्त छूट भी दी है. केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह व लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. श्रीकेश सिंह के मुताबिक एनएमसी की गाइड लाइन आ गई है. इससे छात्रों को काफी राहत मिली है.
रिसर्च में सैंपल साइज का होता है खास महत्व
केजीएमयू रिसर्च सेल पूर्व डीन डॉ. आरके गर्ग के मुताबिक शोध में सैंपल साइज का विशेष महत्व होता है. सैंपल जितने अधिक होंगे, शोध उतना ही गुणवत्तापूर्ण होगा. एरर की गुंजाइश उतनी ही कम होगी. साथ ही रिसर्च में इंट्रोडक्शन, रिरिव्यू ऑफ लिटरेचर, मैटेरियल मेथड, रिजल्ट, डिस्कशन, आर्टिकल रेफरेंस आदि का छात्रों को ध्यान रखना होगा.