लखनऊःउत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के 18 विधायक हैं, जबकि इनमें से आधे विधायक किसी न किसी कारण से पार्टी से बगावत कर चुके हैं. इन विधायकों के बागी होने के कारण बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इनको पार्टी से निलंबित भी किया हुआ है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में बड़ी उठापटक हो सकती है. जिसे बसपा के राजनीतिक अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा से बागी हुए थे विधायक
उत्तर प्रदेश में पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी के कई विधायक समाजवादी पार्टी के संपर्क में आए थे. जैसे ही इसकी भनक मायावती को लगी तो उन्होंने पार्टी के विधायकों को पार्टी से निलंबित करने का फरमान सुना दिया था. इस समय बसपा के 9 विधायक पार्टी से बगावत कर चुके हैं और लगातार वह भाजपा व सपा के संपर्क में भी हैं. यह बागी विधायक कभी भी चुनाव से पहले भाजपा या समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
सपा और भाजपा के संपर्क में हैं बागी विधायक
इन 9 बागी विधायकों के कभी भी दूसरे दलों में शामिल होने की लगातार जानकारी भी मिल रही है. लेकिन अभी यह सभी बागी विधायक औपचारिक रूप से सपा या भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं करेंगे. मायावती इस फिराक में है कि अगर यह बागी विधायक दूसरे दल की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण करें तो विधानसभा अध्यक्ष के यहां विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की याचिका दाखिल की जा सकेगी. एक बागी विधायक ने अनौपचारिक बातचीत में ईटीवी भारत को बताया कि जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे तो यह लोग अपने संपर्क के अनुसार सपा या भाजपा में शामिल होंगे.
ये हैं बसपा के बागी विधायक
बसपा के बागी विधायकों में श्रावस्ती की भिनगा सीट से विधायक असलम राईनी, हापुड़ से विधायक असलम अली, इलाहाबाद की प्रतापपुर सीट से विधायक मुज्तबा सिद्दीकी, प्रयागराज की हंडिया सीट से विधायक हाकिम लाल बिंद, सीतापुर सिधौली से विधायक हर गोविंद भार्गव, जौनपुर की मुंगरा सीट से विधायक सुषमा पटेल और आजमगढ़ से विधायक वंदना सिंह शामिल हैं। इसी तरह उन्नाव से विधायक अनिल सिंह व हाथरस से विधायक रामवीर उपाध्याय शामिल हैं.
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मायावती के सुप्रीमो कल्चर से बसपा का हो रहा नुकसान
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रविकांत कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी की 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान क्या रणनीति होगी, यह तो मायावती बेहतर समझ रही हैं. वह अपने मूल दलित, मुस्लिम समीकरण के आधार पर चुनाव मैदान में उतरेंगी. लेकिन बहुजन समाज पार्टी की जो राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती हैं, वह सुप्रीमो कल्चर के अनुसार पार्टी चलाती हैं और लोकतंत्र में सुप्रीमो कल्चर को ठीक नहीं माना गया है. मायावती के सुप्रीमो कल्चर की वजह से ही आज बहुजन समाज पार्टी का नुकसान हो रहा है. इस स्थिति से ही बसपा की यह क्षति हुई है.