लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2003 में जिला जेल, लखनऊ के जेलर को धमकाने के मामले में मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने मुख्तार को 7 साल की सजा और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया है. यह पहली बार है कि माफिया मुख्तार अंसारी को किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्ध करार दिया गया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने राज्य सरकार की अपील पर पारित किया.
इस मामले में दायर अपील के द्वारा सरकार ने विशेष न्यायालय एमपी-एमएलए कोर्ट के 23 दिसंबर 2020 के मुख्तार को इस मामले में बरी किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. विशेष न्यायालय ने अपने फैसले में गवाहों के मुकरने के आधार पर मुख्तार के खिलाफ लगे आरोप सिद्ध न हो पाने की बात कही थी. हालांकि हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनाए गए अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों का उल्लेख किया, जिनमें कहा गया है कि गवाहों का होस्टाइल हो जाना एक परेशान करने वाला तथ्य है. गवाह धमकी, लालच, अभियुक्त के बाहुबल या पैसों की ताकत, लंबी चलाने वाली अदालती प्रक्रिया व विवेचना और ट्रायल के दौरान आने वाली परेशानी आदि वजहों से होस्टाइल हो जाते हैं.
कोर्ट ने कहा कि हालांकि शीर्ष अदालत यह भी स्पष्ट कर चुकी है कि गवाहों के होस्टाइल होने का यह आशय नहीं है कि उनके पूरे बयान को ही खारिज कर दिया जाए. बल्कि यदि होस्टाइल होने से पूर्व यदि उसने अभियोजन कथानक का समर्थन किया है तो उसका महत्व है. न्यायालय ने पाया कि वर्तमान मामले में वादी तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने अपने मुख्य परीक्षा में मुख्तार अंसारी द्वारा उन्हें धमकी देने और उनके सिर पर रिवॉल्वर लगाने की बात कही. लेकिन अभियुक्त की ओर से की गई प्रति परीक्षा में वह मुकर गए.