लखनऊ:राजनीति को ढाल और दहशत को हथियार बना कर 32 सालों से अपने कुनबे को सुरक्षित रखने वाले मुख्तार अंसारी के लिए अब ये दोनों ही आखिरी सांसे ले रही है. कुनबा खत्म हो चुका है और परिवार की राजनीतक ढाल धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी है, जिसे अब योगी सरकार पूरी तरह से ही खत्म कर दिया है. मुख्तार खुद जेल में बंद है. वहीं, चुनाव जीतने वाला बेटा भी फरार है. आइए जानते है मुख्तार अंसारी के उस कुनबे के बारे में, जो अब योगी सरकार से खौफजदा हो गया है.
19 साल पहले लखनऊ जेल के जेलर एसके अवस्थी को जब मुख्तार अंसारी ने जान से मारने की धमकी दी थी, तो शायद ही उस वक्त उसने सोचा होगा कि इस मामलें में उसको सजा भी मुकर्रर हो सकेगी. लेकिन, 21 सितंबर 2022 को इस मामले में कोर्ट ने माफिया को सजा सुना दी. यहीं नहीं 59 मुकदमों के मुल्जिम मुख्तार अंसारी को तीसरे ही दिन गैंगस्टर के मामले में भी सजा हो गई. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय केस में पिछ्ली सरकारों के रहमोकरम के चलते बरी होने वाले मुख्तार अंसारी का यह हश्र इसलिए हो रहा है क्योंकि सूबे की सरकार ने अभियोजन विभाग को मुख्तार एंड कम्पनी से जुड़े हर मामले की प्रभावी पैरवी करा सजा दिलाने का साफ निर्देश दिया है.
मुख्तार के कुबेर पर योगी का प्रहार
साल 2017 में सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग की बैठक की और माफिआयों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए. इस कड़ी में सरकार ने सात सालों में मुख्तार अंसारी (mukhtar ansari property details) और उसके करीबियों की 246 करोड़ 66 लाख रुपये की सम्पत्तियों को जब्त और ध्वस्त करने की भी कार्रवाई की. मुख्तार और उसके गुर्गों ने जिन 281 करोड़ की सम्पत्तियों पर कब्जा कर रखा था, उन्हे भी छुड़वा लिया गया है. जिस वक्त मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड जेल में बैठ कर यूपी न आने को लेकर जुगत लगा रहा था, उस समय योगी सरकार यूपी में मुख्तार के एक-एक गुर्गों को पकड़ने का काम कर रही थी.
यूपी की बांदा जेल तक पहुंचते-पहुंचते मुख्तार गैंग के 250 से अधिक गुर्गें जेल जा चुके थे. कई गुर्गें मुठभेड़ में मारे गए. जबकि मऊ, गाजीपुर और लखनऊ में मौजूद मुख्तार एंड कम्पनी की सम्पत्तियों पर बुलडोजर चल रहे थे. वहीं, बांदा जेल में शिफ्ट होने के बाद मानो सूबे में फैली मुख्तार की दहशत धरसाई हो गई थी. मुख्तार ने खुद चुनाव न लड़कर अपने को बेटे अब्बास अंसारी को राजनीतिक विरासत सौंप दी, जिसके बाद वो सुभासपा से विधायक चुना गया.
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मुख्तार एंड फैमली को सजा दिलाने में जुटी यूपी पुलिस
योगी सरकार ने सिर्फ मुख्तार अंसारी को ही नहीं बल्कि उसके बेटे, पत्नी और बड़े भाई पर भी मुकदमों की पैरवी तेज कर दी है. यूपी पुलिस और अभियोजन विभाग ने मुख्तार के बड़े भाई और सांसद अफजाल अंसारी, पत्नी आफसा अंसारी , दोनों बेटे अब्बास व उमर अंसारी के जितने भी मुकदमे लम्बित पड़े है, उनकी पैरवी तेज कर दी है. मुख्तार के बड़े बेटे अब्बास अंसारी की बात करें तो उसके खिलाफ लखनऊ, मऊ और गाजीपुर में जालसाजी, धोखाधड़ी, आर्म्स एक्ट आपराधिक साजिश समेत 7 मामले दर्ज हैं और वर्तमान में भगौड़ा घोषित है.
छोटे बेटे उम्र की बात करें तो उसके खिलाफ लखनऊ, मऊ और गाजीपुर में जालसाजी, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, आर्म्स एक्ट के तहत पांच मामले दर्ज हैं, उस सभी का ट्राइल चल रहा है. पत्नी आफसा के खिलाफ गाजीपुर में गैंगस्टर एक्ट, जालसाजी, धोखाधड़ी, चोरी और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम जैसी गंभीर धाराओं में छह मुकदमे दर्ज हैं. वही बड़े भाई अफजाल अंसारी पर गाजीपुर और चंदौली में गैंगस्टर एक्ट आपराधिक साजिश, सीएलए एक्ट व बलवा जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं.
6 केस में तय हुये आरोप, 25 कोर्ट में लंबित
अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन आशुतोष पांडेय के मुताबिक, माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज मुकदमों में पहले सालो-साल आरोप ही नहीं तय हो पाते थे. लेकिन, अब प्रभावी पैरवी के चलते 6 मुकदमों में मुख्तार के खिलाफ आरोप तय करा दिए गए हैं, जिसका नतीजा यह है कि मुकदमों का ट्रायल शूरू हो गया है. उनके मुताबिक, मौजूदा समय मुख्तार के खिलाफ 25 मुकदमे कोर्ट में लंबित है.