लखनऊःउत्तर प्रदेश में कई ऐसे बड़े राजनेता हैं, जिन पर आपराधिक मुकदमों की संख्या भी दर्ज है. वहीं आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों की बढ़ती संख्या निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका के लिए चिंता का कारण भी है. सुप्रीम कोर्ट की कोशिश है कि बढ़ती हुई अपराधीकरण राजनीति पर लगाम लगाई जाए. आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में मौजूदा सांसद और विधायकों पर 22 राज्यों में 2,556 अपराधिक मामले दर्ज हैं यदि इसमें पूर्व सांसद और पूर्व विधायक को भी सम्मिलित कर लिया जाए तो यह संख्या 4,442 तक पहुंच जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में विशेष अदालतें गठित करके राजनेताओं पर दर्ज आपराधिक मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए निर्देश दिए थे. जिसके क्रम में लखनऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट में फिलहाल तेजी से सुनवाई चल रही है. इस साल अब तक सांसद और विधायकों से जुड़े सिर्फ पांच मामलों पर फैसला आया है.
जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 1,217 मामले लंबित. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश गठित हुआ एमपी एमएलए कोर्ट
राजनेताओं के दर्ज आपराधिक मुकदमा की तेजी से निस्तारण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 22 राज्यों में विशेष न्यायालय गठन करने का निर्देश दिया था. इसी क्रम में राजधानी में भी एमपी-एमएलए कोर्ट का गठन किया गया है. इस कोर्ट में सांसद और विधायक पर दर्ज मुकदमों की तेजी से सुनवाई हो रही है. साल 2020 के 60 मामलों की सुनवाई चल रही है, जिसमें अभी तक पांच मुकदमों का निस्तारण हुआ है. 55 मुकदमों का निस्तारण होना बाकी है.
राजनेताओं पर दर्ज मुकदमे बने आभूषण
प्रदेश में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 1,217 मामले अभी लंबित हैं. इनमें 446 मामलों में वर्तमान जनप्रतिनिधि शामिल हैं. राजनेताओं पर दर्ज मुकदमे अब उनके लिए आभूषण बन गये हैं क्योंकि इसी से उनका रुतबा बढ़ता है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब राजनेताओं के लंबित मुकदमों की सुनवाई तेज हो गई है. वहीं हाईकोर्ट ऐसे मामलों की प्रगति की निगरानी कर रहा है.
अपराध राजनीति के गठजोड़ का उदाहरण है बिकरू कांड
2020 के दो जुलाई को घटित कानपुर का बिकरू कांड राजनीति और अपराध के नापाक गठजोड़ का एक बढ़िया उदाहरण है. इस घटना में विकास दुबे ने अपने साथियों के साथ पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग करते हुए एक डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों को मार डाला था. राजनेताओं के संरक्षण में अपराधी पल रहे हैं. वहीं वह लगातार पुलिस वालों के लिए खतरा तो ही हैं. बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी बड़ी समस्या बन चुके हैं.
इन चर्चित राजनेताओं पर दर्ज हैं मुकदमे
1. आजम खान-
सपा के रामपुर से सांसद आजम खान के खिलाफ पिछले साल कई मामले दर्ज हुए, जिनमें जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन कब्जाने के आरोप में 30 मुकदमे दर्ज हैं. वहीं इसके अलावा घोसियान प्रकरण में भी उनके खिलाफ 12 मुकदमे दर्ज हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान आपत्तिजनक भाषण आदि के 20 मुकदमे दर्ज थे. इसके अलावा 29 मुकदमे मारपीट, धमकी देने से संबंधित हैं. अब तक आजम खां के खिलाफ कुल 102 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. वर्तमान में आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं.
2. गायत्री प्रजापति-
गायत्री प्रजापति को दुष्कर्म के एक मामले में लखनऊ पुलिस ने वर्ष 2017 में गिरफ्तार कर जेल भेजा था और वह लखनऊ जेल में बंद हैं. वही गायत्री प्रजापति के खिलाफ गाजीपुर और गोमती नगर विस्तार थाने में जालसाजी समेत कई और मुकदमे भी दर्ज हैं. वही विजिलेंस ने भी आय से छह गुना अधिक संपत्ति के मामले में गायत्री प्रजापति पर मुकदमा दर्ज किया है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय यूपी में खनन पट्टे को लेकर हुए घोटाले के मामले में भी जांच कर रही है. जबकि इसी मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है.
3. मुख्तार अंसारी-
बाहुबली मुख्तार अंसारी मऊ से विधायक हैं. उन पर 40 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. वह हत्या किडनैपिंग और रंगदारी जैसे संगीन वारदातों के चलते फिलहाल 14 साल से जेल में बंद चल रहे हैं. फिर भी पूर्वांचल की राजनीति में उनका सिक्का कायम है. 2005 में बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में उन पर मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन इस मामले में वह बरी हो चुके हैं. मुख्तार अंसारी 1995 से राजनीति में सक्रिय हैं और 1996 में पहली बार वह विधायक चुने गए थे
4. कुलदीप सिंह सेंगर-
उन्नाव में घाटमपुर से बीजेपी के विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर, माखी गांव से युवती को गायब करने और रेप के मामले में, जेल में बंद हैं. दिल्ली की एक अदालत ने कुलदीप सिंह सिंगर के खिलाफ धारा 120(बी), 363, 366, 376 और पोस्को एक्ट के तहत दोषी ठहराया था. 16 दिसंबर 2019 को कुलदीप सिंह को अपहरण और रेप के मामले में दोषी करार दिया गया है.
5. विजय मिश्रा-
भदोही जिले के ज्ञानपुर विधानसभा सीट से बाहुबली निर्दलीय विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ पुलिस ने गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की है. वहीं विधायक के खिलाफ कुल 71 मुकदमे दर्ज हैं. विजय मिश्रा चार बार से ज्ञानपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं. वे तीन बार समाजवादी पार्टी से और चौथी बार सपा से टिकट ना मिलने पर निषाद पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने हैं.
एमपी-एमएलए कोर्ट के अधिवक्ता मनीष त्रिपाठी बताते हैं कि सांसद और विधायक पर दर्ज आपराधिक मुकदमाें का तेजी से निस्तारण करने के लिए एमपी-एमएलए कोर्ट बनाया गया है. अब सभी जिलों में इस तरह के कोर्ट का संचालन हो गया है. जहां पर लंबित आपराधिक मुकदमों की तेजी से सुनवाई चल रही है.