लखनऊः आरिफ मोहम्मद खान ने वोट की राजनीति के बजाय हमेशा सिद्धांत को तवज्जो दी और इसका खामियाजा भी मुख्यधारा की राजनीति से बाहर रहकर भुगता. अब उनके केरल के राज्यपाल बनने को भी मोदी सरकार की सेकुलर मुसलमान को बढ़ावा देने की राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
राजीव गांधी सरकार में बने थे मंत्री
आरिफ मोहम्मद खान ने जब देश की राजनीति में बगावत का झंडा बुलंद किया तो वह केंद्र सरकार में मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. राजीव गांधी की सरकार में मंत्री बनने से पहले उन्हें इंदिरा गांधी भी बेहद पसंद करने लगीं थी और उन्होंने ही 1980 में उन्हें कानपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़वाने का फैसला किया. 1984 में आरिफ मोहम्मद खान ने बहराइच लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीत कर राजीव गांधी की सरकार में मंत्री बने.
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खान ने शुरुआती पढ़ाई जामिया-मिलिया स्कूल से की
बुलंदशहर के बड़ा बस्ती गांव में जन्म लेने वाले मोहम्मद आरिफ खान ने शुरुआती पढ़ाई जामिया-मिलिया स्कूल दिल्ली से की इसके बाद वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और लखनऊ विश्वविद्यालय के शिया कॉलेज भी पढ़ने के लिए पहुंचे. छात्र राजनीति में मशहूर हो चुके आरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बुलंदशहर की स्याना विधानसभा सीट पर किस्मत आजमाई लेकिन नाकामी हाथ लगी.
शाहबानो प्रकरण में राजीव गांधी से की थी बगावत.
स्याना विधानसभा के बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए और 1977 में विधानसभा सदस्य बनने में कामयाब रहे. 1980 में कानपुर से लोकसभा सदस्य और 1984 में बहराइच से लोकसभा सदस्य बनने वाले आरिफ ने 1986 में शाहबानो प्रकरण को लेकर राजीव गांधी से बगावत कर दी. उन्होंने राजीव गांधी सरकार के फैसले को गलत बताया और कहा कि विधवा महिलाओं के साथ नाइंसाफी नहीं करनी चाहिए. ऐसा कानून नहीं बनना चाहिए जो बेसहारा मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने से मना करे.