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मायावती ने बजट पर दी प्रतिक्रिया, बोलीं- जनता को मिली निराशा - lucknow news in hindi

बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार के बजट को मायूस करने वाला बताया है. बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी आज देश की सबसे बड़ी समस्या है. इससे परेशान देश की जनता हर दिन खाने के लिए हलवा नहीं, बल्कि रोटी, दाल मांग रही है.

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मायावती ने बजट को बताया, जनता को निराश करने वाला बजट.

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Published : Feb 1, 2020, 7:11 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार के बजट को मायूस करने वाला करार दिया है. मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश बजट कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों व धन्ना सेठों को छोड़कर देश की 130 करोड़ जनता के लिए मायूस व उनका आटा गीला करने वाला ही है. इस बजट से देश की गरीब, ईमानदार और मेहनतकश जनता की दिन-प्रतिदिन की लगातार बढ़ती हुई समस्या का सही समाधान संभव नहीं है.

मायावती ने बजट को बताया, जनता को निराश करने वाला बजट.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को कहा कि सरकारी संपत्तियों को बेचते रहने से देश का भला कैसे होगा? कुल मिलाकर इस बजट में देश की 130 करोड़ जनता के लिए अधिकतम रोजगार सृजन के माध्यम से उनके आटे, दाल की सही चिंता नहीं की गई है. ये बजट को खोखला व जनचिंता से मुक्त बनाता है. यह अति चिंता की बात है.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी आज देश की सबसे बड़ी समस्या है. इससे परेशान देश की जनता हर दिन खाने के लिए हलवा नहीं, बल्कि रोटी, दाल मांग रही है. लेकिन सरकार उसकी भी सही से व्यवस्था नहीं कर पा रही है. लोगों के पास ना तो काम है और ना ही किसान और मजदूर जैसे मेहनतकश लोगों को उनकी मेहनत का सही मेहनताना मिल पा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस कारण लोगों के हाथों में अपने दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए ना तो उनके हाथ में पैसा है और ना ही बाजार में मांग. इससे देश की पूरी अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई है. फिर भी इसका सही समाधान इस बजट में ढूंढ पाना बहुत मुश्किल है.बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि बजट में अधिकतम रोजगार सृजन का अभाव लगता है. इससे आने वाले समय में जन समस्याएं कम होने के बजाय और ज्यादा बढ़ेंगी. देश का माहौल और अधिक खराब होने की आशंका है. इनकम टैक्स में थोड़ी राहत दी गई है, लेकिन जटिल शर्तों के साथ. अगर यह छूट सरल व बिना शर्त होती तो बेहतर होता. साथ ही बैंकों में केवल पांच लाख तक का जमा पूरी तरह सुरक्षित होने के आश्वासन संसद में दिया गया है. तो फिर बैंकों में जनता की बाकी जमा पूंजी असुरक्षित क्यों है?

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