लखनऊ : संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के 68वां परिनिर्वाण दिवस बहुजन समाज पार्टी की ओर से लखनऊ मुख्यालय समेत प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित किए गए. लखनऊ के डॉ. आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर 12 मंडलों के हजारों कार्यकर्ता पहुंचे. पदाधिकारियों ने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने आवास पर संविधान निर्माता की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया. मायावती आवास पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने भी बीएसपी सुप्रीमो के साथ बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस मौके पर प्रदेशभर के आंबेडकर मिशन से जुड़े लोगों और बसपा के कार्यकर्ताओं से संविधान निर्माता के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया.
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखी यह बात :बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि लगभग 140 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत के गरीबों, मज़दूरों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों सहित उपेक्षित बहुजनों के मसीहा व देश के मानवतावादी समतामूलक संविधान के निर्माता डाॅ. भीमराव आंबेडकर को आज उनके परिनिर्वाण दिवस पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं, लेकिन देश के 81 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज का जीवन बना देने जैसी दुर्दशा न यह आजादी का सपना था और न ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय बाबा साहेब डाॅ. भीमराव आंबेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुःखद है. देश में रोटी-रोजी के अभाव और महंगाई की मार के कारण आमदनी अठन्नी भी नहीं पर खर्चा रुपया होने के कारण गरीब, मजदूर, छोटे व्यापारी, किसान, मध्यम वर्ग सहित सभी मेहनतकश समाज की हालत त्रस्त व चिन्तनीय है, जबकि संविधान को सही से लागू करके उनकी हालत अब तक काफी संवर जानी चाहिए थी.
बाबा साहेब के संविधान से ही मिला हक :डॉ. भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर माल्यार्पण करने आए बहुजन समाज पार्टी के तीन मंडलों के अध्यक्ष सुधीर कुमार भारती ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश को जो संविधान दिया उससे ही गरीबों, दलितों, पिछड़ों और दबे कुचले लोगों को उनका हक मिल पा रहा है. उन्होंने किसी एक जाति या वर्ग के लिए कभी काम नहीं किया, बल्कि सभी जाति और वर्गों के लोगों के लिए संविधान बनाया. संविधान की वजह से ही आज लोकतंत्र जिंदा है. डॉ आम्बेडकर महापुरुष थे इसीलिए उन्हें दलित, पिछड़ों, गरीबों और दबे कुचले लोग अपना मसीहा मानते हैं. आज उनके परिनिर्वाण दिवस पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है.