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यूपी विधानसभा में उठा महाराष्ट्र का मुद्दा, विपक्षी नेता ने बीजेपी को बताया संविधान विरोधी

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान का असर अब यूपी के विधानसभा तक पहुंच गया है. विधानसभा और विधान परिषद के विशेष सत्र में नेता प्रतिपक्ष ने महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान को लेकर बीजेपी को संविधान विरोधी बता दिया, जिससे सत्र में माहौल खराब हो गया.

maharashtra issue raised in up legislative assembly
राम गोविंद चौधरी

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Published : Nov 26, 2019, 9:43 PM IST

लखनऊः महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान का असर यूपी में भी दिखाई पड़ा रहा है. योगी सरकार द्वारा संविधान दिवस पर बुलाए गए विधानसभा एवं विधान परिषद के विशेष सत्र में भी महाराष्ट्र का मुद्दा जमकर उठाया गया. नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने विधानसभा में बोलते हुए भाजपा सरकार को संविधान विरोधी बता दिया, जिसके बाद सत्ता दल में खलबली मच गई.

सदन को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान विरोधी है. इन्हें संविधान दिवस मनाने का अधिकार ही नहीं है. उनके इतना कहते ही संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना इसका विरोध करने लगे. खन्ना ने कहा कि इनके सभी आरोप निराधार हैं. उन्होंने अध्यक्ष से कहा कि राम गोविंद चौधरी को कार्यवाही से बाहर निकाला जाए.

यूपी विधानसभा में उठा महाराष्ट्र का मुद्दा, विपक्षी नेता ने बीजेपी को बताया संविधान विरोधी.
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विशेष सत्र से निकलने के बाद चौधरी ने कहा कि ये लोग अपने कर्मों को छिपाने के लिए लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं. सरकार संविधान के निर्माणकर्ता की आत्मा को ठेस पहुंचा रही है. इसलिए बीजेपी को संविधान दिवस मनाने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये लोग रोज संविधान की हत्या करते हैं. लोकतंत्र पर कुठाराघात करते हैं. उन्होंने कहा कि जब आपने सारी संस्थाओं को अपने कब्जे में ले लिया है, आपको संविधान का पालन ही नहीं करना तो क्यों संविधान दिवस मना रहे हैं.महाराष्ट्र का जिक्र करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी यह साफ करे कि राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए वे राष्ट्रपति को कब पत्र लिखे, राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को कब सूचित किया. प्रधानमंत्री ने कैबिनेट की बैठक कब की, प्रधानमंत्री ने कैबिनेट के फैसले को राष्ट्रपति को कब सूचना दी? फिर राष्ट्रपति ने कब पत्र जारी किया? राम गोविंद चौधरी ने कहा कि बीजेपी का गांधी में विश्वास है न पटेल में ये संविधान में विश्वास नहीं रखते.

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