लखनऊ : उत्तर प्रदेश के स्मार्ट मीटर की तकनीकी भले स्मार्ट न हो, लेकिन स्मार्ट मीटर के टेंडर में तकनीकी का इस्तेमाल कर ऊर्जा विभाग स्मार्ट मीटर कंपनियों को कमाने का भरपूर मौका दे रहा है. यही वजह है कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने स्मार्ट मीटर का टेंडर जिस कंपनी को दिया है वह उत्तर प्रदेश का अब तक का स्मार्ट मीटर का सबसे महंगा टेंडर है. उत्तर प्रदेश में लगभग 25 हजार करोड़ के स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर होने हैं. इनमें से मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने 19 जिलों के लिए 71 लाख सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए लगभग 8,146 करोड़ का टेंडर फाइनल कर दिया है. भारत सरकार ने जहां प्रति सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर का बेस रेट छह हजार रुपये प्रति मीटर तय किया था, उत्तर प्रदेश में उससे कहीं ज्यादा 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने इनटैली स्मार्ट को दिया है. जिस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 2,934 करोड़ रुपये है. प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिंगल फेज की दर पर जो आदेश निर्गत हुआ है वह लगभग 8,428 रुपये प्रति मीटर है, जो अब तक का उत्तर प्रदेश के स्मार्ट मीटर का सबसे महंगा टेंडर है.
पूर्वांचल में इसी स्मार्ट प्रीपेड मीटर की जो सबसे कम प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर कीमत आई है. वह जीएमआर की 7307 रुपये है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में इसी मीटर की सबसे महंगी दर निकाल कर आई है. वह रुपया 8,428 है. यानी एक ही तरह के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत में लगभग 1,121 रुपये प्रति मीटर का अंतर है. वह भी तब जब पाॅवर कॉरपोरेशन की कॉर्पोरेट भंडार क्रय समिति से ही सभी मीटर की दर को अंतिम रूप दिया गया है. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि एक ही क्रय समिति की अलग-अलग दर तय किया जाना भी अपने आप में सीएजी जांच का मामला है. इसीलिए उपभोक्ता परिषद लगातार इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग उठाता रहा है.