लखनऊ:भाजपा नेता लालजी टंडन का आज मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. तबीयत खराब होने के बाद उनको मेदांता अस्पताल में 11 जून भर्ती कराया गया था. सोमवार को ही उनकी हालत नाजुक बताई जा रही थी. दरअसल, बीते 11 जून को मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए लालजी टंडन की तबीयत 15 जून को अधिक बिगड़ गई थी. पेट में ब्लीडिंग होने पर उनका ऑपरेशन भी किया गया था.
हालचाल लेने पहुंचे थे योगी आदित्यनाथ
14 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल पहुंचकर वरिष्ठ नेता का हालचाल जाना था.
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने लालजी टंडन के निधन पर शोक व्यक्त किया. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि लालजी टंडन को उनकी समाज सेवा के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में मजबूत बनाने में अहम रोल निभाया, वह जनता की भलाई के लिए काम करने वाले नेता थे. पीएम मोदी ने लिखा कि लालजी टंडन को कानूनी मामलों की भी अच्छी जानकारी रही और अटलजी के साथ उन्होंने लंबा वक्त बिताया. मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं.
वाजपेयी जी को दोस्त, भाई और पिता मानते थे लालजी
राजनीति में सभासद से सांसद फिर राज्यपाल तक का सफर तय करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की अपने भाई और पिता के समान आदर करते थे. राजनीति में लालजी अटल जी के कहने पर ही आए थे. अटल जी और टंडन जी का करीब 5 दशकों तक साथ रहा.
अटल जी के साथ लालजी टंडन की कुछ यादें
लालजी टंडन ने एक बार कहा था कि अटल जी को लखनऊ से बहुत प्यार था. खासकर पुराने लखनऊ से. यहां की लस्सी और ठंडई दोनों कई बार साथ पीते थे. अटलजी के 2009 में राजनीति से सन्यास लेने के बाद लखनऊ सीट को लालजी टंडन को ही दे दिया गया था.
लालजी ने कहा था- अटल की खड़ाऊं लेकर जीता चुनाव
अटल जी के 2009 में राजनीति से सन्यास के बाद लखनऊ सीट से लालजी को टिकट मिला. प्रचार के दौरान लालजी यही कहते नजर आए थे, कि मैं अटल जी का खड़ाऊं लेकर आया हूं.
लालजी टंडन का जीवन परिचय
- लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में हुआ था. उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की थी.
- अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे.
- 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ.
- संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई.
- लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे.
राजनीतिक सफर
- लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ.
- दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे.
- इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
- 90 के दशक में यूपी में भाजपा-बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में उनका अहम योगदान रहा.
- 1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक वे दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे.
- इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे.
- 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
- 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे.
- 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के राजनीति से दूर होने पर लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई.
- इसके बाद भाजपा ने लखनऊ की लोकसभा सीट लालजी टंडन को ही सौंपी थी.
- लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीतकर संसद पहुंचे.
- 21 अगस्त 2018 में उन्हें बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई.
- 20 जुलाई 2019 को वह मध्यप्रेदश के राज्यपाल बनाए गए थे.