लखनऊ: लखनऊविश्वविद्यालय समेत प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के परिसरों को खोलने की अनुमति दी जा चुकी है. 50 फीसदी कर्मचारियों को परिसर में बुलाया जा रहा है. छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन कक्षाएं भी शुरू हो गई हैं, लेकिन यही ऑनलाइन क्लासेस अब शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के लिए मुसीबत का सबब बन गई हैं. नतीजा ऑनलाइन क्लासेस पढ़ने वाले और पढ़ाने वाले दोनों की संख्या गिर रही है. ईटीवी भारत की टीम ने शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय का जायजा लिया, जिसमें यह बात खुलकर सामने आई.
ऑनलाइन क्लासेज ने छात्रों और शिक्षकों की बढ़ाई मुसीबत. शहर की स्थिति देखकर लागू कर दी व्यवस्था लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 60 से 70 फीसदी छात्र-छात्राएं ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों से हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर विनीत वर्मा का कहना है कि सरकार ने शहरी इलाकों की स्थितियों का जायजा लिया और उसे मॉडल मानते हुए पूरे प्रदेश में ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआत कर दी. वर्तमान में गांव की स्थिति अच्छी नहीं है. कोरोना संक्रमण के चलते लोग परेशान हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय समेत दूसरे राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र ग्रामीण इलाकों से आते हैं. सभी के पास स्मार्टफोन और अन्य आवश्यक तकनीकी उपलब्ध है. गांव में जिन छात्र-छात्राओं के पास स्मार्टफोन हैं, लेकिन उनके पास हाई स्पीड इंटरनेट फैसिलिटी नहीं है. ऐसे में सभी के लिए इस कक्षा का फायदा उठा पाना संभव नहीं.
हालात सुधरने में लगेगा कुछ समय
लखनऊ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक और शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नीरज जैन का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में 50 फीसदी कर्मचारी आने लगे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोरोना वैक्सीन का विशेष कैंप आयोजित किया गया. इन कोशिशों के माध्यम से कर्मचारियों के अंदर सुरक्षा के भाव देने की कोशिश की जा रही है. यह सकारात्मक कदम है. डॉ. नीरज जैन की मानें तो ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों की उपस्थिति फिलहाल कम है. आने वाले करीब एक सप्ताह में स्थिति सुधरने की उम्मीद जताई जा रही है.
वैक्सीनेशन के लिए कैंप का आयोजन
लखनऊ विश्वविद्यालय में शुक्रवार को शिक्षकों और कर्मचारियों के वैक्सीनेशन के लिए विशेष कैंप का आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में आयोजित इस कैंप में बड़ी संख्या में शिक्षकों और कर्मचारियों ने भाग लिया.
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