लखनऊ : राजधानी लखनऊ के भैसा कुंड व बैकुंठ धाम पर लगातार लकड़ियों की कमी और समस्याओं की तस्वीरें व वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. ऐसे में नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने गुरुवार को श्मशान घाटों का निरीक्षण किया. इस दौरान भैंसा कुंड पर लकड़ियों की समस्या ना होने पाए, इसका निर्देश अधिकारियों को दिया. जिससे कि अंतिम संस्कार कराने आने वाले व्यक्ति को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.
भैसाकुंड पर स्थापित होगा तीन मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि राजधानी के भैसा कुंड घाट पर तीन मेकेनाइज़्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम स्थापित की जा रही है, जिसमें शवदाह में लगभग एक घंटे का समय लगेगा और मात्र 80 किलो लकड़ी का उपयोग होगा. निरीक्षण के इसी क्रम में नगर आयुक्त ने गुलाल घाट शवदाह गृह का भी जायजा लिया. यहां दाह संस्कार को व्यवस्थित करने के लिए मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम को लगाने का कार्य आरम्भ कर दिया गया. इसके अतिरिक्त एक अन्य इलेक्ट्रिक शवदाह मशीन स्थापित की जा रही है, जिसमें एक-एक घंटा में शवदाह पूर्ण हो जाएगा.
नगर आयुक्त ने श्मशान घाटों का किया निरीक्षण, लकड़ियों की आपूर्ति के दिए निर्देश
राजधानी लखनऊ में एक तरफ जहां नगर निगम का दावा है कि श्मशान घाटों पर लकड़ियों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, वहीं स्थानीय लोगों को लकड़ियों के लिए स्वयं दौड़ना पड़ता है. ऐसे में नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने निरीक्षण कर अधिकारियों को घाटों पर लकड़ियों की उपलब्धता कराने का निर्देश दिया, जिससे कि अंतिम संस्कार कराने आने वाले लोगों को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.
ये भी पढ़ें:लखनऊ के श्मशान घाटों पर शवों की कतार, एक दिन में 108 लाशों का अंतिम संस्कार
50% कम प्रदूषण उत्पन्न करता है सिस्टम
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने बताया कि ओपेन क्रिमेशन की तुलना में मेकेनाइज़्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम 50 % कम प्रदूषण उत्पन्न करता है. इसमें शवदाह की समयावधि लगभग एक घंटे की होगी, जबकि ओपेन क्रिमेशन में लगभग 4 घंटे का समय लगता है. मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम को एक पारम्परिक प्रणाली के हिसाब से विकसित किया गया है. इसमें कपाल क्रिया एवं पंच समिधा के लिए भी प्रावधान किया गया है, जो की हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण रीति है. इसमें शवदाह के बाद भस्म को ट्रे में विसर्जन के लिए आसानी से इकट्ठा भी किया जा सकता है.