उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

मात्र नियुक्ति प्राधिकारी ही पारित कर सकता है निलम्बन आदेश: हाईकोर्ट - क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक शिक्षा

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्पष्ट किया है कि मात्र नियुक्ति प्राधिकारी ही निलम्बन आदेश पारित कर सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्राधिकारी से उच्च अधिकारी को भी निलम्बन आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है.

etv bharat
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.

By

Published : Nov 29, 2019, 11:36 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि एक सरकारी कर्मचारी का निलम्बन मात्र नियुक्ति प्राधिकारी ही कर सकता है. न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि नियुक्ति प्राधिकारी से उच्च अधिकारी को भी उस कर्मचारी का निलम्बन करने का अधिकार नहीं है, जिसका नियुक्ति प्राधिकारी उसका कोई कनिष्ठ अधिकारी है.

यह निर्णय न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने जय प्रकाश तिवारी की ओर से दाखिल सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया. याची की ओर से उसके निलम्बन सम्बंधी 14 अगस्त 2019 के आदेश को चुनौती दी गई थी.

याची स्टेनो कम क्लर्क के पद पर बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात है. कतिपय आरोपों के बाबत प्राथमिक जांच के पश्चात उसे अपर निदेशक बेसिक शिक्षा ने 14 अगस्त 2019 को निलम्बित कर दिया. याची की ओर से दलील दी गई कि स्टेनो-कम-क्लर्क पद का नियुक्ति प्राधिकारी क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक शिक्षा होता है. लिहाजा याची के विरुद्ध निलम्बन आदेश पारित करने के लिए मात्र वही सक्षम प्राधिकारी है.

ये भी पढ़ें: लखनऊ: पुलिसकर्मियों को दी जाएगी INSAS और SLR राइफल

वहीं राज्य सरकार की ओर से याचिका का यह कहते हुए विरोध किया गया कि याची वैयक्तिक सहायक के पद पर तैनात था. हालांकि न्यायालय ने दस्तावेजों का अवलोकन करने पर पाया कि निलम्बन के समय याची स्टेनो-कम-क्लर्क पद पर ही नियुक्त था. न्यायालय ने उच्च न्यायालय के ही पूर्व के आदेशों को उद्धत करते हुए कहा कि नियुक्ति प्राधिकारी से उच्च अधिकारी निलम्बन आदेश पारित नहीं कर सकताऔर यदि ऐसा किया गया है तो आदेश शून्य होगा.

ये भी पढ़ें: अखिल भारतीय विज्ञान कांग्रेस में बोले अमित शाह, देश के लिए महत्वपूर्ण है इंटर्नल सिक्योरिटी

न्यायालय ने कहा कि उच्च अधिकारी अनुशासनात्मककार्रवाईशुरू कर सकता है लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई और निलम्बन आदेश में फर्क होता है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने निलम्बन आदेश को रद्द कर दिया. हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि सक्षम प्राधिकारी चाहे तो याची पर लगे आरोपों के मद्देनजर विधि सम्मत यथोचित आदेश पारित कर सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details