लखनऊ: कोरोना काल में महिला चिकित्सक डॉ. शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. जहां उन्होंने इमरजेंसी में आ रहीं गंभीर महिलाओं का प्रसव कराया. उस दौरान वह खुद भी गर्भवती थी, लेकिन अपने कोख में पल रहे बच्चे की परवाह न करते हुए वह कर्तव्य पथ पर डटी रही. इस दौरान डॉ. शारदा भी कोरोना की चपेट में आ गई और उनका फेफड़ा खराब हो गया. डेढ़ महीने से डॉ. शारदा ऑक्सीजन पर हैं. ऐसे में सरकार ने डॉक्टर का लंग ट्रांसप्लांट कराने का बीड़ा उठाया है. सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी है. इसका आदेश आते ही शीघ्र ही डॉक्टर को चेन्नई शिफ्ट किया जाएगा. इसके लिए कमेटी का गठन भी किया गया है.
लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर तैनात हैं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही हैं. हाल में ही उनकी शादी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. डॉ. शारदा गर्भवती थीं. इसके बावजूद उन्होंने मेडिकल लीव नहीं ली और कोरोना की लहर के बीच महिला इमरजेंसी में ड्यूटी करती रहीं. जहां कई गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आया और 14 अप्रैल की जांच में उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
पॉजिटिव आने के बाद डॉ. शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां हालात बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. 1 मई को डॉक्टरों ने शारदा के कोख में पल रहे बच्चे को बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉ. शारदा सुमन का प्रसव कराया गया. जहां शारदा की हालत गंभीर बनी हुई है.