लखनऊ :आमतौर पर लोगों की सोच होती है कि अगर एक बार पारिवारिक न्यायालय में पति-पत्नी चले गए तो तलाक हो ही जाएगा. ऐस बिल्कुल भी नहीं है. परिवारिक न्यायालय में मौजूद काउंसलर व अधिवक्ता की पहली कोशिश यही होती है कि रिश्ते को बचा लिया जाए. बहुत से केस आते तो बड़े उलझे हुए हैं, लेकिन यहां आने के बाद थोड़ी सी काउंसलिंग से रिश्ते सुलझ जाते हैं. पारिवारिक न्यायालय में बीते 35 सालों से काम कर रहे हैं वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि जरूरी नहीं है कि हर केस में पति-पत्नी का तलाक ही करवाया जाए. सबसे पहली कोशिश होती है कि अगर रिश्ते को बचाया जा सकता है तो थोड़ी सी काउंसिलिंग से उस रिश्ते को बचा लिया जाए. उन्होंने बताया कि बहुत सारे केस हमारे पास ऐसे हैं जो काफी उलझे हुए आते हैं, लेकिन यहीं पर लड़ते लड़ते हैं दोनों का प्यार उमड़ आता है और फिर एक दूसरे को सॉरी बोल कर एक हो जाते हैं. कुछ रिश्ते ऐसे आते हैं जिसने खुद रिश्तेदार ही रिश्ते को तोड़ने में लगे रहते हैं.
बीते 35 सालों से परिवारिक न्यायालय में तलाक के केस देख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि आजकल रिश्ते जितने पति-पत्नी की वजह से टूटते हैं उतने ही रिश्ते उनके परिवार वालों की नासमझी के कारण भी टूटते हैं. बहुत सारे केस पारिवारिक न्यायालय में ऐसे आते हैं, जिसमें पति-पत्नी के माता-पिता ही उनके रिश्तों के दुश्मन बन बैठते हैं. दोनों के परिवारवालों में नहीं बनती तो रिश्ते टूट जाते हैं या फिर परिवार वाले आरोप-प्रत्यारोप करते हैं. जिसके कारण कई रिश्ते बिना किसी कारण के ही टूट जाते हैं.
उन्होंने बताया कि फैमिली कोर्ट में 50 नए केस दर्ज होते हैं. जिनके अलग-अलग कारण होते हैं. बहुत सारे केसों में लोग समझना ही नहीं चाहते हैं. आपसी सहमति नहीं रखते हैं, लेकिन उनमें से ही कुछ केस ऐसे भी होते हैं. जिनको अगर थोड़ा सा डायरेक्शन दिया जाए पति-पत्नी की काउंसिलिंग की जाए उन्हें समझाया जाए कि उनकी रिश्तों को लेकर क्या ड्यूटी है तो वह समझते भी हैं. उन्होंने कहा कि जब भी हमारे पास कोई तलाक के लिए केस आता है तो सबसे पहले हम उसकी काउंसिलिंग करते हैं पति पत्नी दोनों की बात सुनते हैं फिर उसके बाद जो गलत होता है उसे समझाते हैं और उन्हें बताते भी हैं कि आज के समय में रिश्तों को बहुत बचा के संभाल कर चलना होता है और सिर्फ पति या सिर्फ पत्नी की यह कर्तव्य नहीं है कि वह रिश्ते को निभाएं बल्कि पति पत्नी दोनों ही रिश्ते में शामिल हैं. इसलिए दोनों का यह फर्ज बनता है कि वह अपने रिश्ते को बनाकर रखें. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर इस तरह के जो किए जाते हैं वह लव मैरिज वाले आते हैं.
केस 1 :: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के रहने वाली एक महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया कि पति मान सम्मान से बात नहीं करते हैं. जब वह बात करते हैं तो काफी गलत शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि वह मेरा अपमान कर रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि पत्नी ने आरोप लगाया था कि ऐसा नहीं है कि उसने समझाया नहीं था. उसने दो-तीन बार यह बातें अपने पति से कही थीं. शादी वर्ष 2018 में हुई थी. बीच में कोरोना के चलते एक साल तक मायके नहीं जा पाई. पत्नी का साफ तौर पर कहना है कि अगर पति अपनी इस आदत को सुधार लेते हैं तो मुझे उनके साथ रहने से कोई आपत्ति नहीं है. बात तब बिगड़ गई जब पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय में केस किया तो पति के माता-पिता ने उसके पति से कहा कि वह अपनी पत्नी से बात न करे. महिला ने कहा कि हमारे आपसे मामले में सास-ससुर को नहीं बोलना चाहिए था. इस केस में पति-पत्नी के रिश्तेदार हैं उनके रिश्ते के दुश्मन बन बैठे हैं. फिलहाल दोनों को समझाया गया और अभी दोनों साथ रहने के लिए राजी हैं.