लखनऊ : राजधानी में कोरोना काल में अवध विहार योजना में फ्लैट की कीमतें बढ़ाए जाने पर शासन ने रिपोर्ट तलब की है. प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने आवास आयुक्त से पूछा है कि एक बार फ्लैट आवंटित करने के बाद कीमत क्यों बढ़ाई गई. उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने अवध विहार के सरयू और गोमती एन्क्लेव योजना के फ्लैट की कीमतें बढ़ा दी हैं. 4.32 लाख रुपये तक कीमतें बढ़ाई गयी हैं.
लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने की थी शिकायत
इस मामले में लखनऊ जन कल्याण महासमिति ने कानून मंत्री बृजेश पाठक से शिकायत की थी. प्रमुख सचिव के साथ बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था. जिसके बाद अब प्रमुख सचिव ने आवास विकास से इस मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है. आवास विकास से पूछा गया है कि कीमतें किस आधार पर बढ़ाई गई हैं. इतनी अधिक कीमत बढ़ाने से लोगों की पहुंच से मकान बाहर हो रहे हैं. इसके साथ ही फ्लैट का कब्जा देने में भी देरी हुई है. कीमतें बढ़ाये जाने से आवंटी अब फ्लैट वापस कर रहे हैं.
पोस्टिंग का खेल
लखनऊ विकास प्राधिकरण में जिन बाबूओं पर आरोप था उन्हें दोबारा वही कुर्सी मिल गई. दरअसल कुछ महीने पहले बाबूओं का तबादला किया गया था. लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें दोबारा वही पोस्टिंग मिल गई. जहां से वे हटाए गए थे. इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय पर की गई है. एलडीए के ऐसे जिम्मेदारों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है. प्राधिकरण में तीन दिन पहले 40 से अधिक बाबूओं का तबादला इधर से उधर किया गया था. लेकिन पैसे के दम पर इन बाबूओं ने पोस्टिंग अपने मन मुताबिक करवा ली.
एलडीए के सूत्र बताते हैं कि 4 बाबूओं ने पैसे के बलबूते पर मनमानी तैनाती हासिल की है. बता दें कि विमलेंद्र गौतम की फाइल पर लिखा हुआ है कि उनको दोबारा कभी विहित प्राधिकारी कार्यालय में न रखा जाए, इसके बावजूद उनकी तैनाती विहित प्राधिकारी में करा दी गई. वहीं मोहम्मद शमी पहले गोमती नगर योजना देखते थे. करीब दो महीने पहले उनका तबादला किया गया था. मगर उन्होंने अपना काम नहीं छोड़ा था. इस बार वापस पुरानी कुर्सी हथिया ली है. स्नेहलता पहले विहित प्राधिकारी कार्यालय में आठ साल रहीं, कुछ समय पहले तबादला हुआ था. एक बार फिर से वापस विहित प्राधिकारी कार्यालय में पहुंच गई हैं.
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गुरुवार को लखनऊ विकास प्राधिकरण ने अमीनाबाद की मेडिसिन मार्केट में चल रहे अवैध निर्माण को सील कर दिया. बिल्डिंग को सील करने का आदेश नौ जून को विहित प्राधिकारी ने दिया था. इसका निर्माण अब्दुल की ओर से कराया जा रहा था. एलडीए ने कई बार निर्माण रोके जाने की नोटिस दी थी, लेकिन काम बंद नहीं किया गया. गुपचुप तरीके से निर्माण होने पर गुरुवार को प्रवर्तन दल के साथ अधिशासी अभियन्ता कमलजीत सिंह ने मौके पर पहुंचकर बिल्डिंग को सील करा दिया.