पुलिस वेरिफिकेशन की सुस्ती से ऑटो, टेंपो, बस चालक कर रहे जघन्य अपराध
राजधानी लखनऊ में ऑटो, टेंपो, बस चालकों के वेरिफिकेशन की रफ्तार काफी सुस्त है. यही कारण है कि राजधानी में कई जघन्य वारदातों के बावजूद कातिल पकड़ में नहीं आए. इसके अलावा नए अपराधियों को भी वारदात को अंजाम देने का मौका मिल गया.
Etv Bharat
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Published : Jul 19, 2023, 6:37 PM IST
लखनऊ :राजधानी में बीते दिनों इंटरव्यू के लिए जा रही एक युवती इस भरोसे से ई रिक्शे में बैठ गई कि हर रिक्शे और कैब वाले की डिटेल पुलिस के पास है तो उसके साथ कौन बुरा करने की हिम्मत कर सकता है. हालांकि उसका यह भरोसा करना बेमानी साबित हुआ और ई रिक्शे चालक ने उसे जंगल में ले जाकर रेप करने की कोशिश की और विफल होने पर नृशंस हत्या कर दी. ऐसे में यह हैरान करने वाला है कि अपराधी प्रवृत्ति के लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट चला रहे हैं और पुलिस उनके वेरिफिकेशन करने की औपचारिकता निभा रही है.
लखनऊ में हुईं आपराधिक घटनाएं.
देश की राजधानी दिल्ली में वर्ष 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद सभी राज्यों की पुलिस ने यह तय किया था कि शहरों में चलने वाले ऑटो, टेंपो, बसों को चलाने वाले ड्राइवर्स का पुलिस वेरिफिकेशन करवाएगी. ताकि पुलिस को यह जानकारी रहे कि कहीं वह कोई अपराधी तो नहीं. इतना ही नहीं ड्राइवर को भी यह डर रहेगा कि पुलिस के पास उसकी पूरी डिटेल है. हालांकि यूपी में पुलिस का यह दावा महज कागजों तक ही सीमित रहा. नतीजन राज्य की राजधानी में बीते कुछ माह में ऑटो चालक और ई रिक्शा चालकों ने जघन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया.
लखनऊ में हुईं आपराधिक घटनाएं.
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक कहती हैं कि जो ई रिक्शे या ऑटो हम चेकिंग के दौरान सीज करते है वह बिना चालक के वेरिफिकेशन किए नहीं रिलीज करते हैं. वहींं संयुक्त पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि शहर में सवारी गाड़ियों के ज्यादा रजिस्ट्रेशन होना हमारे लिए चुनौती बना हुआ है. पुलिस के पास अभी तक वाहनों की संख्या हो नहीं है कि कितने सवारी वाहन चल रहे हैं. ऐसे में आरटीओ से हमने एक लिस्ट मांगी है और जैसे ही यह आती है हम सभी सवारी गाड़ियों के मालिक और चालकों का पुलिस वेरिफिकेशन शुरू करेंगे, ताकि पुलिस विभाग में इनका रिकार्ड बना रहे.
लखनऊ में हुईं आपराधिक घटनाएं.
लखनऊ में करीब 44 हजार ई रिक्शा, 4 हजार ऑटो, ढाई हजार टेंपो और 10 हजार कैब चल रही है.
शहर में कुल 75 हजार से भी अधिक ऑटो, ई रिक्शा, कैब और ऑटो चल रहे हैं.
इसमें 20 प्रतिशत ही वाहन मालिक गाड़ी चलाता है, अन्य चालकों के सहारे ही चलती है.
30 प्रतिशत चालकों को डिटेल पुलिस के पास मौजूद है.
राजधानी में सबसे अधिक ई-रिक्शा है, फिर ऑॅटो, टेंपो, डग्गामार बस और कैब हैं.
पुलिस के पास न गाड़ियों को चलाने वाले चालकों का न कोई रिकॉर्ड है और न ही उनका वेरिफिकेशन हुआ.
बड़ी घटना होने पर इनको पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है.