लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरों में तंबाकू और सिगरेट बेचने वाले दुकानदारों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य किया है. इसको लेकर बकायदा एक शासनादेश जारी करते हुए सभी नगर आयुक्तों को भेजा गया है. साथ ही लाइसेंस लेने और उस प्रक्रिया से संबंधित किसी को आपत्ति होने पर भी सुझाव मांगे गए हैं. बकायदा लाइसेंस फीस निर्धारित करते हुए आदेश जारी किया गया है. साथ ही नगर निकायों से इसको लेकर आपत्तियां और अन्य तरह के सुझाव भी मांगे गए हैं.
नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे की तरफ से स्थानीय निकाय निदेशक और सभी नगर आयुक्तों को पत्र भेजकर, तंबाकू और सिगरेट और अन्य तंबाकू पदार्थ बेचने को लेकर लाइसेंस दिए जाने की व्यवस्था शुरू करने के निर्देश दिए हैं. इसको लेकर एक प्रोफार्मा भी भेजा गया है और उस प्रोफार्मा के अनुसार आपत्तियां और सुझाव भी मांगे गए हैं. इसके साथ ही लाइसेंस प्रक्रिया को लेकर भेजे गए आदेश के अनुसार नगर निगम सदन से भी अनुमोदन लिए जाने की बात कही गई है.
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जारी आदेश के अनुसार अब उत्तर प्रदेश के नगर निकायों में बिना लाइसेंस के कोई भी दुकानदार गुटका, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू उत्पाद नहीं बेच पाएगा. जनरल मर्चेंट किराना दुकान गुमटी में बीड़ी सिगरेट आदि की बिक्री बिना लाइसेंस के नहीं होगी. इसके साथ ही शिक्षण संस्थाओं से 100 मीटर की दूरी पर तंबाकू उत्पाद की दुकान मिलने पर भी कार्रवाई की बात कही गई है. इसके अलावा जारी आदेश में कहा गया है कि अगर बिना लाइसेंस के दुकानें संचालित होना पाया जाता है तो जुर्माना भी वसूला जाएगा.
तंबाकू दुकानदारों का पंजीकरण 1 वर्ष के लिए मान्य होगा. इसके बाद लाइसेंस का नवीनीकरण कराना अनिवार्य होगा. स्ट्रीट वेंडिंग नीति के अंतर्गत अस्थाई दुकानों के लिए वार्षिक पंजीकरण शुल्क 200 रुपये होगा. स्थाई दुकानों के लिए 1000 रुपये एवं थोक स्थाई दुकानदारों के लिए पंजीकरण फीस 5000 रुपये ली जाएगी. 1 वर्ष के बाद नवीनीकरण शुल्क को थोक विक्रेता के लिए 5000, फुटकर स्थाई विक्रेता के लिए 200 एवं फुटपाथ पर गुमटी और अस्थाई दुकानों के लिए 100 निर्धारित की गई है.