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मंत्री बोले सीएमओ नहीं सुन रहे बात, कोरोना से लखनऊ के हालात खराब - बृजेश पाठक ने लिखी चिट्ठी

उत्तर प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बेकाबू हो गया है. प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने इस संबंध में एक चिट्ठी अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को लिखी है. मंत्री का कहना है कि लोग लगातार मदद के लिए फोन कर रहे हैं, लेकिन सुविधा नहीं है. इसलिए मदद भी नहीं हो पा रही है.

कानून मंत्री बृजेश पाठक
कानून मंत्री बृजेश पाठक

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Published : Apr 13, 2021, 2:31 PM IST

लखनऊ:यूपी के अफसर मुख्यमंत्री से रोजाना कोरोना के इलाज के पुख्ता बंदोबस्त के दावे कर रहे हैं. हकीकत इससे उलट है. टीम-11 में शामिल इन बड़े अफसरों की कार्यशैली की पोल सरकार के एक कद्दावर मंत्री ने खोल कर रख दी है. उन्होंने कोरोना के इलाज की हकीकत और जनता के दर्द को गोपनीय पत्र के जरिए शासन से साझा किया. सोशल मीडिया पर इस पत्र के लीक होते ही हड़कंप मच गया है. इसमें मंत्री ने सीएमओ पर बात न मानने और इलाज की व्यवस्था बदतर होने के बारे में लिखा है.

कानून मंत्री बृजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) को लिखी चिट्ठी.
अधिकारियों की बेपरवाह कार्यशैली का किया है जिक्रलखनऊ से विधायक और प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक का कोरोना से लखनऊ की बदतर होती हालात पर धैर्य जवाब दे गया है. शहर के इतिहासकार पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीण को फोन करने पर भी समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलने पर उन्होंने असंतोष जताया है. मंत्री ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को सोमवार को पत्र लिख दिया. इसमें उन्होंने लखनऊ में कोरोना के इलाज की व्यवस्था और आमजन को हो रही दिक्कतों को उजागर किया है. साथ ही मंत्री ने जिले से लेकर शासन तक के अफसरों की बेपरवाह कार्यशैली का भी जिक्र किया है.स्वास्थ्य अधिकारी नहीं उठा रहे फोनबृजेश पाठक ने ये चिट्ठी राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, अपर मुख्य स्वास्थ्य सचिव को लिखी है. मंत्री का कहना है कि लोग लगातार मदद के लिए फोन कर रहे हैं, लेकिन सुविधा नहीं है. इसलिए मदद भी नहीं हो पा रही है. इतना ही नहीं, मंत्री ने शिकायत की है कि स्वास्थ्य अधिकारी के दफ्तर में फोन नहीं उठाया जाता है. इसके कारण दिक्कतें हो रही हैं. मंत्री ने अपनी चिट्ठी में अपील की है कि अस्पतालों में बेड की संख्या तुरंत बढ़ाई जाए, टेस्टिंग पर भी जोर दिया जाए.

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मंत्री ने कहीं ये बातें

  • मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में अधिकतर लोगों के फोन का उत्तर नहीं दिया जाता है, जिसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री और प्रमुख सचिव से की है.
  • शासन के कहने से सीएमओ का फोन अब उठता तो है, मगर वह मरीजों की समस्याओं का निस्तारण नहीं कर रहे हैं.
  • पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीण कुमार को फोन करने के बावजूद समय पर एम्बुलेंस नहीं मिली.
  • कोरोना पेशेंट के लिए जांच किट का संकट है. प्रतिदिन 17000 किट की जरूरत है, मगर जिले में सिर्फ 10000 किट ही उपलब्ध हो पा रही हैं.
  • प्राइवेट पैथोलॉजी में जहां कोरोना की जांच बंद हैं, वहीं सरकारी से 4 से 7 दिन में मरीजों की रिपोर्ट मिल रही है.
  • वही एंबुलेंस समय पर नहीं मिल रही है, मरीजों की शिफ्टिंग अस्पताल में नहीं हो पा रही है.
  • एंबुलेंस मरीजों को समय पर नहीं मिल पा रही है. 5 से 6 घंटे का इंतजार करना जानलेवा बन रहा है.
  • किडनी लीवर कैंसर डायलिसिस के मरीजों को इलाज स्थिति दयनीय है.
  • ऐसे में मरीजों के इलाज की व्यवस्थाएं तत्काल दुरुस्त की जाएं.

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