लखनऊ:गाजीपुर के बीरपुर गांव निवासी अतुल राय की जिंदगी के अहम पन्ने वाराणसी जिले से जुड़े हुए हैं. अतुल ने वाराणसी के हरिश्चंद्र कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. इस दौरान ही अतुल राय (atul rai) छात्र राजनीति में कूद गए. इसी दौरान उसके नाम की शिकायतें उत्तर प्रदेश के वाराणसी के थानों में पहुंचने लगी थीं. धीरे-धीरे दायरा बढ़ता गया और आपराधिक गतिविधियां वाराणसी व उसके आस-पास के जिले में सुनाई देने लगीं. छात्र राजनीति से सियासत की ऊंची बागडोर पर पहुंचने की अतुल राय (atul rai) की कहानी जरायम के रास्ते से ही मानी जाती है. मुख्तार से संपर्क के अलावा सियासत की ऊंची पकड़ बनाने के लिए अतुल राय ने कई ऐसे रास्ते चुने जो सत्ता की ओर तो ले गया, लेकिन जुर्म की दलदल में भी उनको लगातार फंसाता चला गया. उन पर दर्ज मामले इस बात की तस्दीक करते हैं कि पूर्वांचल में एक और सफेदपोश जरायम के रास्ते सत्ता की चाबी पाने की फिराक में लगा है.
वाराणसी में पढ़ाई के दौरान ही वह मुख्तार गैंग के संपर्क में आ गया. अपने कारनामों के चलते जल्द ही वह अंसारी के खास सहयोगियों में गिना जाने लगा. साल 2017 में वह चर्चाओं में उस वक्त आया, जब वाराणसी के डाफी टोल प्लाजा इलाके पर उस पर अंधाधुंध फायरिंग का आरोप लगा. अपराध की दुनिया में अपना नाम साबित करने के बाद अतुल ने ठेकेदारी की दुनिया में अपना नाम कमाया. पीडब्ल्यूडी, रेलवे जैसे कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के बाद अतुल राय की अपनी एक टीम बनने लगी. यहां से उसके राजनीतिक पारी का आधार तैयार होने लगा.
गाजीपुर के अतुल राय ने साल 2017 में वाराणसी से ही अपनी राजीतिक पारी का आगाज किया. बसपा के टिकट से जमनिया से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में राय को भले ही हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन उसे पहचाना जाने लगा. बीजेपी की सुनिता सिंह से अतुल राय मामूली अंतर से हारे. भूमिहार बेल्ट में अतुल का बढ़ता वर्चस्व उसके राजनीतिक रसूख को साबित करने के लिए काफी था. 2019 के लोस चुनाव में घोसी सीट से मुख्तार बेटे अब्बास को प्रत्याशी बनाना चाहता था, मगर अतुल राय ने बसपा टिकट लेकर जीत हासिल कर ली. यहां से मुख्तार व अतुल के बीच न मिटने वाली लकीर खिंच गई.
अतुल राय का नाम सुर्खियों में तब आया, जब 2019 में उनके खिलाफ वाराणसी के लंका थाने में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक युवती ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया. 23 साल की युवती ने आरोप लगाया कि अतुल राय ने धोखे से अपने फ्लैट पर बुलाया और यहां दुष्कर्म किया और वीडियो बना ली. साथ ही धमकी दी कि यदि शिकायत की, तो वीडियो को वायरल कर दिया जाएगा. मुकदमा दर्ज होने के दौरान अतुल राय फरार रहे और फरारी के दौरान ही पूरा चुनाव लड़ा. परिणाम अतुल राय के पक्ष में आया, तो लगा मानो उनके अच्छे दिन आ गए. मगर, बलिया निवासी युवती ने तमाम दबावों के बावजूद अपना मुकदमा न तो वापस लिया और न ही अपने कदम पीछे खींचे. अलबत्ता युवती के जज्बे के आगे पुलिस प्रशासन और जरायम का खौफ सब लाचार हो गया. युवती की शिकायत के बाद अतुल राय फरार हो गए, इधर परिवार की तरफ से जबरदस्त प्रचार किया जा रहा था, जिसका परिणाम ये हुआ कि अतुल राय जीत गए, लेकिन कोर्ट से राहत नहीं मिली और आखिर में आत्मसमर्पण करना पड़ा, वह जेल में बंद थे ही कि पिछले दिनों पीड़िता द्वारा आत्मदाह ने मुश्किलों को और बढ़ा दिया.
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अपराध की दुनिया से सांसद बनने तक की पूरी कहानी...नाम 'अतुल राय' - मऊ सांसद अतुल राय
सुप्रीम कोर्ट के बाहर रेप पीड़िता व उसके गवाह के आत्मदाह के बाद मऊ के घोसी लोकसभा सीट से बसपा सांसद अतुल राय (Lok Sabha seat BSP MP Atul Rai) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. अतुल राय (atul rai) के अपराध का पुराना इतिहास रहा है. अपराध का सहारा लेकर राजनीति की सीढ़ी चढ़ने वाला घोसी से बसपा सांसद दुष्कर्म के आरोप में नैनी सेंट्रल जेल में बंद है. अतुल राय पर वाराणसी व उसके आस-पास जिले में हत्या, रंगदारी व दुष्कर्म जैसे संगीन किस्म के 27 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. आइए जानते हैं अतुल राय के मुख्तार अंसारी के शूटर से सांसद बनने का सफरनामा...
इसी बीच उम्र को लेकर एक मामले में रेप पीड़िता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद अतुल राय पर दुष्कर्म का अरोप लगाने वाली युवती और उसके दोस्त ने सुप्रीम कोर्ट के गेट डी के पास आत्मदाह करने की नीयत से खुद को आग लिया. इसकी वजह से पहले युवक और बाद में युवती ने दम तोड़ दिया. इसके बाद अतुल राय के बाहर निकलने के तमाम रास्ते भी बंद हो गए. अगर दुष्कर्म के मामले में युवती ने स्टैंड नहीं लिया होता, तो शायद अतुल राय जेल के बाहर से सियासत की उड़ान भर रहे होते. हालात और बदले समीकरणों के अनुसार अब ऐसे हैं कि अतुल राय का छूटना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी है. अब अतुल की लोकसभा की सदस्यता भी खतरे में हैं. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अभी तक अतुल लोकसभा में शपथ भी नहीं ले सके.
माह भर पूर्व अतुल राय के परिजनों ने अतुल राय की जान को मुख्तार से खतरा भी बताया था. वहीं, नैनी जेल से भी मुख्तार को दूर रखने के लिए अतुल राय की ओर से काफी प्रयास किए गए थे. इसी का नतीजा माना जा रहा है कि मुख्तार इस समय बांदा जेल में बंद है, अन्यथा मुख्तार को नैनी जेल भेजने की भी चर्चा एक समय खूब रही थी. कहा तो यहां तक जाता है कि अतुल के फंसने के बाद अब बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास का घोसी सीट से दावेदारी पक्की हो गई है.
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