लखनऊ:शहर में किडनी रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है और शहर में समय पर इलाज मिलना मुश्किल होता जा रहा है. कारण यह है कि सरकारी संस्थानों में डायलिसिस के लिए वेटिंग है. इसके साथ ही किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
आज 11 मार्च को विश्व किडनी दिवस है. शहर के कई अस्पतालों में जागरूकता संबंधी कार्यक्रम आयोजित किए गए. पीजीआई, लोहिया में विशेषज्ञों ने रोगियों को बीमारी से बचाव के उपाय बताए. साथ ही इलाज की उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी. हालांकि संस्थान में डॉक्टरों और संसाधनों की कमी के कारण किडनी रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. जिला अस्पतालों में नेफ्रोलॉजिस्ट नहीं हैं. चिकित्सा संस्थानों में भी नेफ्रोलॉजी के चिकित्सकों का संकट है. ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
एसपीजीआई में तीन साल की वेटिंग
राजधानी के एसजीपीजीआई में सबसे पहले किडनी ट्रांसप्लांट शुरू किया गया था. यहां एक साल में 120 से 130 मरीजों को किडनी ट्रांस्प्लांट की जाती है. 400 के करीब मरीजों का नाम वेटिंग लिस्ट में है. इसके बाद आने वाले मरीजों को तीन साल की वेटिंग दी जा रही है. लिहाजा गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांस्प्लांट) के मरीजों के लिए डायलिसिस ही एकमात्र सहारा है. समय पर ट्रांसप्लांट के लिए मरीज प्राइवेट में बड़ा खर्च करना होता है.