लखनऊ:थारू जनजाति के बारे में कई मान्यताएं हैं. राजपूताना कनेक्शन भी इनमें से एक है, जिसकी हकीकत का पता करने के लिए केजीएमयू के डॉक्टर और छात्र शोध करेंगे. इसके तहत थारू जनजाति के लोगों का अध्ययन किया जाएगा.
थारू जनजाति पर रिसर्च करने में जुटा केजीएमयू. फिलहाल डॉक्टरों ने इसके लिए थारू जनजाति के 850 लोगों के ब्लड सैंपल लिए हैं और इनके जीन का परीक्षण शुरू कर दिया है. केजीएमयू में क्लीनिकल पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टर व छात्र इस पर अध्ययन करेंगे.
थारू जनजाति महिला प्रधान समाज माना जाता है. यह घुमंतू जनजातियों में से एक है, जो अमूमन तराई के इलाकों में पाई जाती है. कई लोग मानते हैं कि ये लोग नेपाल से आए हैं. जबकि कई लोगों का मानना है कि खिलजी के आक्रमण के वक्त राजपूत महिलाएं जंगल में चली गईं थीं, जो जनजाति के रूप में स्थापित हैं.
हालांकि अभी इसके प्रमाण सामने नहीं आए हैं. इस पर शोध किया जा रहा है और इसके लिए इस अवधारणा के लोगों को तलाशा जा रहा है. अगर इनके जीन राजपूतों से मेल खाएंगे तो इस अवधारणा का स्पष्टीकरण सामने आ जाएगा. इस पूरे मामले पर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने ईटीवी भारत से जानकारी साझा की. साथ ही उन्होंने छात्रों और डॉक्टरों के इस जनजाति से जुड़े अध्ययन के बारे में भी बताया.
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आने वाले दिनों में थारू जनजाति का कनेक्शन साफ हो जाने के बाद केजीएमयू द्वारा इस पूरे मामले पर छात्रों व डॉक्टरों के साथ मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें इस जनजाति से जुड़े कनेक्शन के बारे में तर्क रखे जाएंगे और इस अध्ययन के बारे में और जानकारियां जल्दी ही साझा की जाएंगी.