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भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे केजीएमयू के कुलसचिव, जांच के आदेश

केजीएमयू के कुलसचिव पर भ्रष्टाचार करने व भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने समेत कई आरोप लगे हैं. जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर शासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे केजीएमयू के कुलसचिव.
भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे केजीएमयू के कुलसचिव.

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Published : Aug 4, 2021, 12:03 PM IST

लखनऊ: केजीएमयू में भ्रष्टाचार का पसरा हुआ है. यहां डॉक्टर-कर्मियों की भर्ती में धांधली उजागर हो चुकी हैं. वहीं उपकरणों-कोरोना टेस्ट किट की खरीदारी में भी खेल की परतें खुलीं है. नियमों को ताक पर रखकर हो रहे कामों पर अब शासन ने नजरें गड़ा दीं हैं. लिहाजा, इस दलदल की छींटे अब अफसरों पर भी पड़ने लगी हैं. नया मामला कुलसचिव का है, उन पर भ्रष्टाचार करने व भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने समेत कई आरोप हैं. जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर शासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

केजीएमयू के कुल सचिव के खिलाफ कई जनप्रतिनिधियों ने शिकायत की. इसमें सोनभद्र के विधायक सजीव गोंड, कानपुर बिठूर के विधायक अभिजीत सिंह सांगा, सुलतानपुर के एमएलसी शैलेन्द्र प्रताप सिंह, जौनपुर से विधायक डॉ. लीना तिवारी ने मृतक आश्रित कोटे की फर्जी तरीके से नौकरी पाए कर्मी पर कार्रवाई न करने पर सवाल उठाए. वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री व सांसद कौशल किशोर ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में संस्थान में भ्रष्टाचार का बोलबाला बताया है. मंत्री के पत्र में गंभीर आरोप की बौछार होने पर शासन ने जांच के आदेश दिए हैं. इसके लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन कर दिया है. वहीं अब मंत्री का दूसरा पत्र जारी किया गया, जिसमें उन्होंने शिकायत से इनकार किया. उधर, फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित होने से हलचल तेज हो गई है.

भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे केजीएमयू के कुलसचिव.
भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे केजीएमयू के कुलसचिव.

यह भी हैं आरोप

  • केजीएमयू में कर्मियों-डॉक्टरों की सीधी भर्ती में एससी-एसटी, ओबीसी आरक्षण रोस्टर को दरकिनार करना.
  • डॉक्टरों के भर्ती के विज्ञापन में दिव्यांगों के आरक्षित पदों को गायब करना.
  • कार्यालय में तैनात कर्मियों पर भ्रष्टाचार की शिकायत होने पर नजरअंदाज करना, उन्हें संरक्षण देना, मनमाने पटल पर तैनाती देना.
  • शिकायतकर्ताओं पर अनुचित दबाव डलवाकर शिकायत को वापस लेने को मजबूर करना.
  • स्टाफ की कमी होने के बावजूद लैब अटेंडेंट, टेक्नीशियन, नर्सिंग स्टाफ, सोशल वर्कर, सिक अटेंडेंट को पेशेंट केयर में ड्यूटी के बजाए कार्यालय में तैनात करना.
  • कोरोना ड्यूटी में कर्मियों-डॉक्टरों के बीच जातिगत भेदभाव के आरोप

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क्या कहते हैं अफसर
कुलसचिव पर लगे आरोप पर जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई गई है. इसके अध्यक्ष कुलपति प्रो. विनीत शर्मा हैं. वहीं लाइजन अधिकारी अनुसूचित जाति प्रो. संतोष कुमार, विभागाध्यक्ष फॉरेंसिक मेडिसिन डॉ. अनूप वर्मा को सदस्य बनाया गया है. इस प्रकरण पर पक्ष जानने के लिए जब कुलसचिव आशुतोष कुमार को कॉल की गई, तो रिसीव नहीं किया. वहीं संस्थान के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने कहा कि कुलसचिव के खिलाफ शिकायत पर कमेटी बनी है. इसमें आगे क्या चल रहा है, यह इंटरनल मामला है.

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