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Trauma Center KGMU Lucknow में हर माह बेकार हो रहा कई यूनिट खून, जानिए कारण

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ट्रॉमा सेंटर में हर माह कई यूनिट खून बेकार हो रहा है. दरअसल ब्लड बैंक एक बार खून सेंटर से बाहर जाने पर उसे वापस नहीं लेता है. ऐसे में मरीजों को न चढ़ने वाला खून हर माह बेकार हो रहा है.

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Published : Mar 4, 2023, 12:57 PM IST

लखनऊ : केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में हर माह कई यूनिट खून बेकार हो जाता है. यह खून डॉक्टर जरिए अधिक यूनिट में मंगाने में या फिर मरीज की मौत बाद बेकार होता है. ब्लड बैंक भी एक दफा खून सेंटर से बाहर जाने पर उसे वापस नहीं लेता है. ऐसे में मरीजों को न चढ़ने वाला खून हर माह बेकार हो रहा है. वहीं जिन मरीजों पास डोनर नहीं है वह एक-एक यूनिट खून चार से पांच हजार रुपये में खरीदने में मजबूर हैं.

Trauma Center KGMU Lucknow में हर माह बेकार हो रहा कई यूनिट खून


केजीएमयू ब्लड बैंक में करीब दो हजार यूनिट खून की उपलब्धता है. हर रोज करीब दो-ढाई सौ यूनिट खून ब्लड बैंक से जारी होता है. जबकि इतने ही यूनिट खून तीमारदारों जरिए डोनेशन में मिलता है. ट्रॉमा में हर दिन गंभीर मरीजों के लिए करीब 30-40 यूनिट खून की डिमांड आती है. इसमें कई गंभीर मरीजों को खून चढ़ने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है. ऐसे में ब्लड बैंक से जारी खून सेटेलाइट ब्लड बैंक में जमा हो जाता है. इसका प्रयोग नहीं हो पाता है. वहीं कई डॉक्टर मरीज से अधिक यूनिट खून की डिमांड कर लेते हैं. जबकि मरीज को एक या दो यूनिट चढ़ता है. ऐसे में बाकी बचा खून सेटेलाइट यूनिट में रखे-रखे खराब हो जाता है. ट्रॉमा में करीब 30 से अधिक यूनिट खून बेेकार हो गया है. खून खराब होने की वजह से उसे कर्मचारियों ने खराब पड़े रेफ्रीजरेटर में डाल रखा था. केजीएमयू ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक, ब्लड बैंक से जारी हुए खून को वापस नहीं लिया जाता है। मरीज की मौत होने बाद वह खून बचा हुआ होगा. ट्रॉमा प्रभारी डॉ. संदीप तिवारी ने कहा कि खून की बर्बादी न हो इसके लिए कम मात्रा में ही खून मंगाया जाता है. खून चढ़ते वक्त कई गंभीर मरीज की जान चली जाती है. ऐसे में उनकी बची यूनिट दोबारा ब्लड बैंक में वापस नहीं होती है. वहीं खून हर माह एक्सपायर होता है.

Trauma Center KGMU Lucknow में हर माह बेकार हो रहा कई यूनिट खून

इमरजेंसी वार्ड में होगी अतिरिक्त बेडों की व्यवस्था : रंगोत्सव को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. नेत्र व त्वचा रोग विशेषज्ञ ऑन कॉल उपलब्ध रहेंगे. अस्पतालों में जरूरी दवाएं, इमरजेंसी सेवाओं, चिकित्सकों की उपलब्धता को लेकर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने निर्देश दिए हैं कि होली पर सभी स्वास्थ्य इकाइयां अलर्ट मोड पर रहें. होली पर सड़क दुर्घटनाएं होने की अधिक आशंका रहती है. इमरजेंसी में कुछ बेडों को आरक्षित किया जाए. चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ को बिना अपरिहार्य कारणों के अवकाश स्वीकृत न किए जाएं. सभी अस्पतालों में एंबुलेंस उपलब्ध रहें. होली पर नेत्र व त्वचा रोगियों की संख्या को भी दृष्टिगत रखते हुए, सभी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. नेत्र व त्वचा रोग विशेषज्ञ ऑन कॉल उपलब्ध रहें. डिप्टी सीएम के निर्देशों के अनुपालन में प्रमुख सचिव (चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) पार्थ सारथी सेन शर्मा की ओर से सभी विभागीय अपर निदेशकों, मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को पत्र जारी कर दिया गया है.


झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के निर्देश : स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से मरीज झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में फंसकर जान गवां रहे हैं. डेढ़ माह पहले सभी झोलाछाप डॉक्टरों की कुंडली तैयार की गई थी. कार्रवाई की बजाए उस पर अफसर कुंडली मारे बैठे थे. अब स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की नींद टूटी है तो सभी सीएचसी प्रभारियों को पत्र भेजकर कार्रवाई के निर्देश जारी हुए हैं. सीएमओ आफिस जरिए करीब डेढ़ माह पहले 63 झोलाछाप डॉक्टरों की सूची तैयार की गई थी. इसमें एक भी झोलाछाप डॉक्टर पर अफसरों ने शिकंजा नहीं कसा. ऐसे में झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ होकर मरीजों का इलाज करके उनकी जान जोखिम में डाल रहे हैं. सीएमओ डॉ. मनोज के मुताबिक सभी सीएचसी प्रभारियों को उनके क्षेत्र में आने वाले झोलाछाप पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

लोहिया संस्थान में खुलेगा रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग : लोहिया संस्थान में बांझपन का इलाज और आसान हो जाएगा. इसके लिए रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग खुलेगा. अभी यूनिट संचालित हो रही है, जो उच्चीकृत होगी. खासबात यह है कि विभाग के लिए अलग से भवन बनेगा, जिसे मंजूरी मिल गई है. बता दें, लोहिया अस्पताल एकमात्र अस्पताल है जहां पर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग खुलने जा रहा है. दरअसल बांझपन की समस्या से बहुत से दंपत्ति संतान सुख से वंचित हो जाते हैं. इसके लिए उन्हें निजी आईवीएफ सेंटर की तरफ मजबूरन रुख करना पड़ता है. जिसके कारण वहां पर लाखों रुपये का खर्च आता है बहुत से दंपती इतना खर्चा करने के लिए सक्षम नहीं है. ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए लोहिया अस्पताल में रीप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग खुलने जा रहा है. इससे उन तमाम लोगों को संतान सुख प्राप्त हो सकेगा जो अब तक वंचित है.

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में हुई लोहिया की बोर्ड गवनर्स ने रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग के उच्चीकरण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है. इसके लिए शहीद पथ पर नया भवन बनेगा. इसमें भर्ती से जांच की सुविधा होगी. निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि नए भवन का डीपीआर जल्द ही तैयार किया जाएगा. इसमें ऑपरेशन थिएटर से प्रयोगशाला जुड़ी होंगी. ऐसे दंपती जिनके आंगन में किलकारी नहीं गूंज रही हैं. ऐसे दंपती की सूनी गोद भरने में मदद होगी. मरीजों को किफायती दर पर इलाज मिलेगा. संस्थान में अध्ययनरत एमबीबीएस, बीएससी नर्सिंग छात्रों के लिए राजकीय अनुदान से हॉस्टल सुविधा का विस्तार दिया जाएगा. संस्थान में अध्ययनरत सीनियर जूनियर रेजीडेंट के लिए हास्टल सुविधा पीपीपी मॉडल पर बनाने का निर्णय लिया गया है. एमबीबीएस, नर्सिंग तथा इन्टर्न के लिए ट्रान्सपोर्ट की सुविधा शुरू की जाएगी. इसके लिए चार नई बसें खरीदी जाएंगी. ई-बसों को खरीद में प्राथमिकता दी जाएगी.

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