लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों को कोरोना संक्रमण से बचाने व वैक्सीनेशन को लेकर शुक्रवार को दो बैठक आयोजित की गई. पहली बैठक हाईकोर्ट के गठित कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस संजय यादव की अध्यक्षता में वर्चुअली संपन्न हुई. इसमें जेलों में भीड़ कम करने पर विस्तार से चर्चा की गई. वहीं दूसरी बैठक देर शाम आयोजित हुई. यह बैठक अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की अध्यक्षता में हुई.
बंदियों को पैरोल पर छोड़ने पर सुझाव
पहली बैठक में मुख्य सचिव गिरी गोपन अवनीश अवस्थी, पुलिस महानिदेशक एमए गणपति, डीजी जेल आनंद कुमार व सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अशोक कुमार शामिल थे. इस बैठक में बंदियों को कोरोना से बचाने के लिए कारागारों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से चर्चा हुई. जिसमें रिहाई के पात्र बंदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ने का सुझाव दिया गया.
बैठक में DG जेल आनंद कुमार ने जेलों में बंदियों को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए किए जा रहे कार्यों से जस्टिस संजय यादव को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की 71 जेलों में 1,06,724 बंदी निरुद्ध हैं. नए बंदियों से कारागारों में संक्रमण न फैले, इसके लिए प्रदेश भर में 51 अस्थायी कारागार बनाए गए हैं. यहां 14 दिन रखने के बाद बंदियोंं का कोविड टेस्ट होता है. इसके बाद रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें मुख्य कारागार भेजा जात है. वहां भी 14 दिनों तक क्वॉरंटाइन किया जाता है. रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही सामान्य बंदियों के साथ रखा जाता है. इन उपायों के परिणाम स्वरूप जेलों में कोविड-19 के प्रसार पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा चुका है. वर्तमान में कारागारों में कोविड के सक्रिय मरीजों की संख्या घटकर 824 रह गई है.