लखनऊ: प्राविधिक शिक्षा परिषद में पॉलिटेक्निक की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन में नंबरों में फिर करने के आरोप में 400 परीक्षकों को दोषी पाया है. इसके बाद परिषद में इन सभी परीक्षकों को अगले 3 साल के लिए मूल्यांकन की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है. पॉलिटेक्निक के कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन में इन परीक्षकों द्वारा हजारों छात्रों के कॉपी में को 11 से ज्यादा नंबर तक बढ़ाने के मामले सामने आने के बाद विभाग ने जब इसकी जांच की तो इसका खुलासा हुआ.
इसके बाद प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के आदेश पर जब कॉपियों की सफलता से जांच की गई, तो इन परीक्षाओं द्वारा कॉपी में जानबूझकर नंबर बढ़ाए जाने का मामला उजागर हुआ है. इसके बाद परिषद ने पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया मूल्यांकन की प्रक्रिया को सही करने के लिए यह कदम उठाया है साथ ही इन सभी परीक्षकों को भविष्य में ऐसे किसी भी मामले में लिप्त पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है.
29 दिसंबर को जारी हुई पुनर्मूल्यांकन के परिणाम में इसका खुलासा हुआ: पॉलिटेक्निक की वार्षिक और सैम सेमेस्टर परीक्षाओं के परिणाम जारी होने के बाद पुनर्मूल्यांकन और स्कूटी के लिए आवेदन लिए गए थे. जिसमें इस बार रिकॉर्ड पूरे प्रदेश से करीब सवा दो लाख छात्रों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्कूटी के परिणाम दीपा वाली से पहले जारी कर दिए गए थे वहीं पुनर्मूल्यांकन के परिणाम 11 नवंबर तक तैयार थे लेकिन जारी नहीं किए गए. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार परिषद के प्रमुख सचिव एम देवराज ने कॉपियों की पुनर्मूल्यांकन में हुए बदलाव के बाद सभी कॉपियों की जांच करवाई.
पुनर्मूल्यांकन के परिणाम में 92344 स्कॉर्पियो के परिणाम में बदलाव हुआ था. जबकि 74391 कॉपियां ऐसी थी जिसमें फेल छात्र पुनर्मूल्यांकन के बाद पास नहीं हुए थे. जबकि 262 कॉपियां ऐसी थी जिसमें छात्रों ने नंबर बढ़ाने की उम्मीद में आवेदन किया था यह छात्र भी पास हो गए. जांच में पाया गया थी इसके उलट 52240 कापियों में छात्र फेल थे, लेकिन पुनर्मूल्यांकन में उन्हें पास कर दिया गया. इस परिणाम के बाद प्रमुख सचिव ने सभी छात्रों के परिणाम पर रोक लगा दिया था. और दोबारा से सभी कापियों का जांच करने के आदेश जारी किया. 41 दिन चले जांच के बाद बीते 29 दिसंबर को जिसमें से करीब 18000 कॉपियां की जांच की गई बाकी 33000 कॉपियों के परिणाम बिना जांच जारी कर दिए गए.
जांच में पता चला कि पुनर्मूल्यांकन में छात्रों को 31 नंबर तक बढ़ा कर दिए गए थे. प्राविधिक सचिव अजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि पुनर्मूल्यांकन में करीब 33000 कापियों में 1 से लेकर 10 नंबर तक बढ़ाने के मामले सामने आए हैं. वहीं 15000 कापियों में 11 से 20 नंबर तक बढ़ाए गए हैं. जबकि ढाई हजार कापियों ऐसी है, जिसमें 21 से लेकर 30 नंबर तक बढ़ाए गए हैं. वहीं 416 कॉपी में 31 नंबर तक बढ़ाने के मामले सामने आए थे. सचिव ने बताया कि इन सभी कॉपियों की जांच करने वाले 400 परीक्षकों को मूल्यांकन प्रक्रिया से दीवार कर दिया गया है. उन्होंने बताया की प्रमुख सचिव के निर्देश पर सभी परीक्षाओं पर कार्रवाई की गई है परीक्षा समिति में मामले को रखकर निर्णय लिया गया जिसमे सर्वसम्मति से इन सभी 400 परीक्षकों को अगले 3 साल के लिए परीक्षा के कार्ड से दीवार कर दिया गया है.
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