लखनऊ:राजधानी में अवध के नवाबों ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत इमारतों का निर्माण कराया है. यह इमारतें आज 200 सालों से भी अधिक समय से अपनी मजबूती और सुंदरता का मिसाल दे रही हैं. अवध के पहले बादशाह गाजीउद्दीन ने भी लखनऊ में बेहद खूबसूरत इमारतों का निर्माण कराया है. इनमें से छतर मंजिल, मुबारक मंजिल, शाह मंजिल, मोती महल, सहादत अली खान और मुशीर जादी का मकबरा शामिल है. इन्हीं में से एक मकबरा है गाजीउद्दीन का 'शाहनजफ'.
1827 में दफनाया गया था
गाजीउद्दीन हैदर ने इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब के दामाद हजरत इमाम अली अलैहिस्सलाम की याद में इमामबाड़ा शाहनजफ को बनवाया था. उनकी वसीयत के अनुसार, यहीं पर गाजीउद्दीन हैदर को उनकी मृत्यु के बाद सन् 1827 में दफनाया गया. लखौरी ईटों और चूने के मसालों से निर्मित इस इमारत के ऊपरी छोर पर बड़ा सा गुंबद है.
हजरत अली का रोजा इराक के शहर नजफ में है, इसलिए इस इमारत का नाम भी शाहनजफ रखा गया. हालांकि यह इमारत भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित है, लेकिन चारों तरफ से भू माफियाओं का अतिक्रमण हो रहा है. वहीं इमारत की खूबसूरती पर भी अब दाग लगने लगा है.
वास्तुकला के ढंग से अनोखा है शाहनजफ
अवध के पहले बादशाह गाजीउद्दीन हैदर ने लखनऊ में जिन खूबसूरत इमारतों का निर्माण कराया, उनमें शाहनजफ का नाम भी शामिल है. रौजा-ए-शाहनजफ में दाखिल होने के लिए एक बहुत ही सुंदर फाटक बना हुआ है. जिस पर दो शेर, मछलियां और बादशाह का ताज है. वहीं इस रोजे में वर्मा से आयातित लकड़ी के दरवाजे लगाए गए हैं. बड़े गुंबद के नीचे अलम, ताजिये और झाड़ फानूस , लकड़ी और चांदी की बेहतरीन जरी रखी गई है. छत में भी खूबसूरत नक्काशी की गई है और बेल-बूटे भी लगाए गए हैं. इस मकबरे में गाजीउद्दीन को उनकी तीनों पत्नियों के साथ दफनाया गया है. उनकी बेगम मुबारक महल, मुमताज महल और सरफराज महल की कब्र को उनकी कब्र के आसपास बनाई गई है. इन कब्रों पर चांदी और एक पर लकड़ी का कठेरा भी लगाया हुआ है.