लखनऊ :गुरुवार को सीएम योगी के नेतृत्व वाली सरकार ने यूपी का वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश कर दिया. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए योगी सरकार का बजट 6 लाख 15 हजार 518 करोड़ रुपये रखा गया है. यह बजट प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बजट है. इसमें शिक्षा और रोजगार पर विशेष फोकस किया गया है. योगी सरकार की मंशा युवाओं को जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनाने की है. इसके लिए सरकार ने मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के तहत 800 इकाइयों की स्थापना कराकर 16,000 लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा है.
युवाओं के उत्थान के लिए सरकार ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना में 112 करोड़ 50 लाख रुपये का प्रस्ताव रखा है. इसके माध्यम से बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई आदि व्यवसायों में लगे एक लाख से अधिक हस्त शिल्पियों और पारंपरिक कारीगरों को निशुल्क प्रशिक्षण, टूल किट और बैंक ऋण से जोड़कर रोजगार दिलाया जाएगा.
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले 5 सालों में परंपरागत शिल्पकारों और कारीगरों को एक जनपद, एक उत्पाद(ODOP) प्रोग्राम के तहत 700 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी है. आगामी समय में 2,500 करोड़ रुपये की लागत से विश्वकर्मा तकनीकी योजना के तहत युवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए हर ब्लॉक में आईटीआई की स्थापना, अधिक से अधिक शिल्पकारों और पारंपरिक कारीगरों को जोड़ने की योजना है. सरकार की ओर से औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 4 जिलों में प्रयागराज, प्रतापगढ़, अलीगढ़ और महोबा में नए औद्योगिक संस्थान विकसित करने के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है. इसके अलावा अयोध्या में सीपेट(CPET) केंद्र के निर्माण और संयंत्रों की खरीद के लिए 35 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए हैं.
शहरी गरीबों को सरकार ने दी बड़ी राहत, 500 रुपये देना होगा स्टांप शुल्क
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को बड़ी राहत दी है. शहरों में निजी डेवलपरों की ईडब्ल्यूएस(EWS) इकाइयों के पंजीयन में अब मात्र 500 रुपये का स्टांप शुल्क देना होगा. इससे भवनों के पंजीयन में आवेदकों की काफी अधिक धनराशि की बचत होगी. इसके अलावा सरकार ने दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर, कानपुर, आगरा, वाराणसी, गोरखपुर और अन्य शहरों में मेट्रो परियोजनाओं के लिए 2,750 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए हैं.
योगी सरकार ने इस बार के बजट में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग को 3,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्रस्तावित की है. इसमें शहरों के सुव्यवस्थित विकास के साथ ट्रांसपोर्टेशन पर भी जोर दिया गया है. दुर्बल, अल्प, लघु और मध्यम आय वर्ग को अफोर्डेबल हाऊसिंग उपलब्ध कराने के लिए अफोर्डेबल हाऊसिंग उपविधि-2021 जारी की गई है. इससे दुर्बल, अल्प, लघु और मध्यम आय वर्ग के व्यक्तियों को उनकी आर्थिक क्षमता के अनुरूप भवन उपलब्ध होंगे. इसके अलावा लॉजिस्टिक्स पार्क और वेयर हाउसिंग के विकास पर जोर दिया है.