उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

फरार और घोषित अपराधियों को नहीं दी जाए अग्रिम जमानत: लखनऊ खंडपीठ

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अंकुर मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि फरार और घोषित अपराधियों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह फैसला 11 वर्षीय बच्चे की मृत्यु के केस पर दिया. बीते साल 21 दिसंबर 2018 को फैजाबाद रोड पर स्थित होटल ग्रैंड ओरियन की तीसरी मंजिल से गिरकर एक बच्चे की मौत हो गई थी.

लखनऊ हाईकोर्ट खंडपीठ.

By

Published : Oct 16, 2019, 2:39 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अपने एक फैसला में कहा है कि फरार और घोषित अपराधियों को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने फैजाबाद रोड पर स्थित होटल ग्रैंड ओरियन की तीसरी मंजिल से गिरकर एक बच्चे की हुई मौत के मामले में अभियुक्त को सत्र न्यायालय से मिले अग्रिम जमानत के आदेश को खारिज करते हुए यह फैसला दिया है.

अंकुर मिश्रा की याचिका पर दिया गया निर्णय
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने अंकुर मिश्रा की याचिका पर दिया. याची का कहना था कि 21 दिसम्बर 2018 को वह पत्नी और बच्चों के साथ होटल ग्रैंड ओरियन में एक पारिवारिक समारोह में भाग लेने गया था, जहां तीसरी मंजिल की टूटी हुई रेलिंग से गिरकर याचिकाकर्ता के 11 वर्षीय बच्चे की मृत्यु हो गई थी. इस मामले में याची ने होटल मालिक और प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर लिखाई. बाद में पुलिस की संतोषजनक कार्रवाई न किये जाने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ के समक्ष प्रार्थना पत्र भी दिया.

पढ़ें-लखनऊ: मदर एंड चाइल्ड केयर डोनेट के तहत खरीदे मॉनिटर नवजात के लिए कारगर नहीं

मजिस्ट्रेट ने जारी किया किया था गैर जमानती वारंट का आदेश
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त के खिलाफ समय-समय पर न सिर्फ गैर जमानती वारंट, फरारी की उद्घोषणा और कुर्की के आदेश जारी किया था, बल्कि पुलिस उच्चाधिकारियों को कई पत्र लिखकर अभियुक्त की गिरफ्तारी सुनिश्चित कराने को कहा. इन सबके बावजूद अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हो सकी. उधर अभियुक्त के फरार होने के बावजूद 9 अगस्त को सत्र न्यायालय द्वारा उसकी अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया गया.

पढे़ं-लखनऊ: 46 फीसदी संपत्ति के साथ क्षेत्रीय दलों में सबसे अमीर है समाजवादी पार्टी

अभियुक्त ट्रायल के लिए कोर्ट के समक्ष सरेंडर करे
कोर्ट ने शीर्ष अदालत के विभिन्न निर्णयों को उद्धत करते हुए कहा कि फरार और घोषित अपराधियों के अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्रों को नहीं मंजूर किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपी के विरुद्ध 10 जनवरी 2019 को ही न सिर्फ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था, बल्कि उसके खिलाफ फरारी की उद्घोषणा और कुर्की का आदेश भी हो चुका था. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में विवेचनाधिकारी की भूमिका और उसके सहभागिता पर तो टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है, यह उसके आचरण से ही स्पष्ट हो जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय ने मामले के इन पहलुओं पर गौर किये बगैर अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली. कोर्ट ने पाया कि मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, अभियुक्त ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर करे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details