लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कहा है कि सामाजिक-आर्थिक अपराधों में लिप्त अपराधी पैसे से मजबूत होते हैं. वे अभिजात्य वर्ग से आते हैं व उन्हें जमानत और अग्रिम जमानत पर छोड़ने से उनके देश छोड़कर भागने का खतरा होता है. न्यायालय ने कहा कि एक बार जब कोई अपराधी देश से भाग जाता हैं तो उसे वापस लाना व आपराधिक प्रक्रिया का सामना कराना मुश्किल हो जाता है.
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की एकल पीठ ने पंकज ग्रोवर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए की. न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार के अपराधी और ज्यादा अमीर होने के लिए पूरे समाज को और लोगों की जिंदगियों को असुरक्षा मे डाल देते हैं. उनके द्वारा सरकारी खजाने में सेंध लगाकर समाज को ही क्षति पहुंचाई जाती है. आपराधिक न्याय तंत्र के लिए इस प्रकार के अपराध एक चुनौती बन चुके हैं. पहले तो यह पता लगाना मुश्किल होता है कि अपराध वास्तव में हुआ है, यह पता जब लगता है, तब तक साक्ष्य मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे अपराधों के साक्ष्य साधारण विवेचना से मिल भी नहीं पाते और साधारण सजा ऐसे अपराध और अपराधियों से डील करने में प्रभावी नहीं होतीं.