लखनऊः पंचायत चुनाव को लेकर एक ओर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से मतदाता लिस्ट तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है. वहीं पंचायती राज विभाग के स्तर पर भी पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन के साथ-साथ आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की गयी है. वहीं पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए एक बड़ी राहत की ख़बर है. इस बार के पंचायत चुनाव के लिए नामांकन के समय जमा करने वाली राशि बढ़ाई नहीं जायेगी.
2015 में निर्धारित जमानत राशि करनी होगी जमा
इस प्रकार का प्रस्ताव फिलहाल पंचायती राज विभाग की ओर से तैयार किया गया है. जिसे शासन को भेजा गया है. हालांकि इस पर अभी औपचारिक मुहर नहीं लगाई गयी है. पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार पुरानी जमानत राशि को ही आधार मानकर जमा करेंगे. जमानत राशि उम्मीदवारों को नामांकन के समय जमा करनी होगी.
4 पदों पर होते हैं पंचायत चुनाव
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 4 पदों के लिए होते हैं. इनमें ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पदों पर चुनाव होते हैं. इनके लिए जमानत राशि जमा करने का प्रावधान है. उम्मीदवार के जीतने पर ये जमानत राशि वापस हो जाती है. वही चुनाव में निर्धारित वोट न मिलने पर इस राशि को जब्त करने का भी प्रावधान है.
ये है जमानत राशि
ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए जमानत राशि 500 रुपये, ग्राम प्रधान पद के लिए जमानत राशि 2,000 रुपये निर्धारित की गयी है. इसी तरह क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के लिए 2,000 रुपये की राशि निर्धारित है. वहीं जिला पंचायत सदस्य पद के लिए जमानत राशि 4,000 निर्धारित है. जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति ओबीसी और महिला प्रत्याशियों के लिए जमानत राशि में 50 फीसदी की छूट दिए जाने का प्रावधान है.
साल 2015 की तुलना में ग्राम पंचायतों की संख्या घटी है. 2015 में 59,162 ग्राम पंचायतों में 11 करोड़ 70 लाख से अधिक वोटरों ने मतदान किया था. इस बार शहरी क्षेत्रों का विस्तार होने से ग्रामीण क्षेत्र घट गया है. पुनर्गठन की प्रारंभिक मिली रिपोर्ट के मुताबिक अब ग्राम पंचायतों की संख्या 58 हजार 207 रह गई है. वार्ड परिसीमन का काम जारी है. परिसीमन और पुनर्गठन का काम पूरा होने के बाद औपचारिक रूप से इसका डाटा जारी किया जायेगा.
आरक्षण की स्थिति तय नहीं, अभी चल रही है तैयारी
पंचायत चुनाव के लिए पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन पूरा ना हो पाने की वजह से आरक्षण की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रही है. शासन स्तर पर संभावित आरक्षण प्रक्रिया का प्रस्तुतीकरण भी नहीं हो सका है. साल 2015 में ग्राम पंचायतों का आरक्षण शून्य करने, जिला और क्षेत्र पंचायतों में चक्रानुक्रम प्रक्रिया लागू किए जाने के की वजह से पेंच फंसा हुआ है. सरकार सभी पदों के लिए एक समान आरक्षण व्यवस्था लागू करना चाहती है. ऐसे में चक्रानुक्रम प्रक्रिया लागू होगी. ताकि कोर्ट का कोई विवाद न फंसे. ऐसा होने पर सभी पदों पर आरक्षण स्थिति बदल जाएगी. आखिरी फैसला परिसीमन फाइनल होने के बाद शासन स्तर पर लिया जायेगा.
अप्रैल के पहले सप्ताह तक हो जायेंगे चुनाव
जिस तरह से राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज विभाग के स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं. ऐसे में अब उम्मीद जताई जा रही है कि पंचायत चुनाव अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक हर हाल में संपन्न करा लिए जायेंगे. फरवरी महीने में पंचायत चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जायेगा. मार्च से लेकर अप्रैल के पहले सप्ताह तक पंचायत चुनाव कराए जाने की घोषणा की जायेगी.