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श्रद्धा हत्याकांड से लड़कियों को लेना होगा सबक, अंधविश्वास नहीं सजगता जरूरी

श्रद्धा हत्याकांड ने पूरे देश को हिला दिया है. महिलाएं सोचने पर मजबूर हो गई हैं कि कौन भरोसे के लायक हैं और कौन नहीं. आज के दौर में कम उम्र में भी लड़कियों के दोस्त होते हैं. इस हत्याकांड ने उन तमाम लड़कियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो अंधविश्वास की तरह किसी पर भरोसा कर लेती हैं.

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Published : Nov 23, 2022, 5:38 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 9:59 AM IST

लखनऊ : श्रद्धा हत्याकांड (shraddha murder case) ने पूरे देश को हिला दिया है. महिलाएं सोचने पर मजबूर हो गई हैं कि कौन भरोसे के लायक हैं और कौन नहीं. आज के दौर में कम उम्र में भी लड़कियों के दोस्त होते हैं. इस हत्याकांड ने उन तमाम लड़कियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो अंधविश्वास (blind faith) की तरह किसी पर भरोसा कर लेती हैं. जिन लड़कियों की लाइफ में कोई नहीं है उनके अंदर डर बन गया है, वहीं जिन लड़कियों के लाइफ में कोई लड़का है उसको लेकर वह संशय में पड़ गई हैं. किसी के साथ ही जिन पेरेंट्स की बेटियां हैं वह भी डरने लगे हैं.

वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर अर्चना सिंह (Archana Singh, Manager of One Stop Center) बताती हैं कि आज के समय में किसी के ऊपर भरोसा करने लायक नहीं है. खासकर लड़कियों को यह बात समझनी होगी कि अपने हक के प्रति लड़ना सीखना होगा. अगर उनके ऊपर कोई अत्याचार हो रहा है तो उसके खिलाफ आवाज उठाना होगा. लड़कियां हमेशा से भावनात्मक होती हैं. महिलाओं का सोचना होता है कि अगर रिश्ता बच सकता है तो उसे बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. फिर चाहे उसका आदमी उसे मारता ही क्यों न हो उसे भी वह सह लेंगी. हालांकि एक हद तक ही बर्दाश्त करनी चाहिए.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला




उन्होंने कहा कि श्रद्धा केस में भी यही हुआ कि लड़की ने पूरी तरह से अपने घर से संबंध तोड़ लिए थे. हां कुछ समय के लिए परिजनों को आपसे नाराजगी होती है, लेकिन हर माता-पिता अपनी बेटी के लिए हमेशा खड़े रहते हैं. श्रद्धा को अपनी बातें अपने घर पर बतानी चाहिए थीं. जब आप परिवार से कट जाते हैं तो ऐसे में सामने वाले को यह विश्वास रहता है कि यह लड़की पूरी तरह से उसके ऊपर निर्भर है. मैं इसके साथ जो चाहूं वह कर सकता हूं. आफताब ने जब पहली बार ही श्रद्धा पर हाथ उठाया था, उसी समय श्रद्धा को एक्शन लेना चाहिए था. ऐसा नहीं है कि उसे पता न चला हो. लड़कियों को यह समझना जरूरी है कि उन्हें अपने लिए सजग रहना होगा.

अर्चना सिंह (Archana Singh) के अनुसार कभी भी किसी के प्यार में इतना ना पड़ें कि सामने वाला आपके जिंदगी को पूरी तरह से कंट्रोल करने लगे और आप उसके लिए सिर्फ एक मशीन बन जाएं. आप क्या पहन रही हैं? आप कहां जा रही हैं? आप किससे बात कर रही हैं? अगर इन तमाम बातों को लेकर आपका पति या बॉयफ्रेंड आप पर रोक टोक करे तो तो संभल जाएं. अपनी जिंदगी को कभी भी किसी के कंट्रोल में न देकर जिएं. किसी के ऊपर अंधविश्वास (blind faith) न करें. बहुत ज्यादा जरूरी है कि अगर आप किसी रिलेशनशिप में हैं तो ईमानदारी जरूर रखें. आप अपने जीवनसाथी का चुनाव कर रहे हैं तो थोड़ा समय साथ में बिताएं. अचानक से डिसीजन (decision) न लें.

कुछ महिलाओं ने बातचीत के दौरान कहा कि हमारे घर में भी बेटियां हैं. अब तो बड़ा डर लगने लगा है कि किस तरह से उन्हें संभालना है. बच्चों पर ज्यादा पाबंदियां भी नहीं लगाई जा सकती हैं. इसलिए कोशिश करते हैं कि जितना हो सके हम उतना समय अपनी बेटियों के साथ बिता रहे हैं. ताकि बच्चियां हमसे अपनी सारी बातें बताएं. जरूरी है कि कभी भी परिजनों से बातों को छुपाए नहीं. इसलिए हम बच्चों को पूरी तरह से स्वतंत्रता (Freedom) भी देते हैं और उन्हें एक आजाद जिंदगी जीने की सलाह भी देते हैं, लेकिन कोशिश करते हैं कि अपने दोस्तों के बारे में अपने दिनचर्या के बारे में हमसे शेयर करें.

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Last Updated : Nov 24, 2022, 9:59 AM IST

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