लखनऊः गोरक्षपीठ से जुड़े एक संन्यासी योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद लोगों के मन में कई सवाल उठे. लोगों ने कहा कि एक योगी सत्ता चलाने के लिये कितना सही साबित होगा. सवाल केवल सत्ता चलाने का नहीं था, बल्कि करीब डेढ़ दशक बाद यूपी की सत्ता में लौटी बीजेपी के साख को और मजबूत करना भी था. इसके बाद शुरू हुआ योगी का शासन काल, जिसमें उन्होंने अपने काम के बूते सभी प्रश्नों को उत्तर दे दिया है. उनके कार्यकाल को देखें तो योगी ने सत्ता को बेहतर ढंग से चलाने के साथ ही बीजेपी को और भी मजबूत किया है. उन्होंने पिछले चार साल में अपनी कठिन मेहनत के बदौलत आमजन में ये भरोसा दिया कि बीजेपी सूबे के लिए बेहतर सरकार देने वाली पार्टी है.
फायर ब्रांड नेता ने बनायी अपनी अलग पहचान
फायर ब्रांड नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पहचान के मुताबिक लव जिहाद, लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली जैसे कानून बनाकर एक बड़े वर्ग को आकर्षित भी किया. यह वही वर्ग है जिसे भाजपा हमेशा से अपने पाले में लाने की फिराक में रही है.
दंगा रोकने के लिये लाया कठोर कानून
सीएए के खिलाफ यूपी में आंदोलन उग्र हुआ. तमाम संपत्तियों को क्षति पहुंचाई गई. जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों को कड़े संदेश दिये. उन्होंने कहा कि उपद्रव में हुई क्षति की भरपायी उपद्रवियों से वसूली जायेगी. इसके बाद योगी सरकार उत्तर प्रदेश लोक और निजी संपत्ति क्षतिपूर्ति अध्यादेश लेकर आई. जिसे बाद में कानून का रूप दे दिया गया. इसके तहत प्रदेश में लखनऊ और मेरठ में संपत्ति क्षति दावा अधिकरण का गठन किया गया. अधिकरण की खास बात ये है कि इसके फैसले के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है. अधिकरण का फैसला अंतिम होगा. अब प्रदेश में दंगा प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ में हुई क्षति की वसूली की जा रही है. लखनऊ अधिकरण में 12 मंडलों से जुड़े मामलों और मेरठ अधिकरण में छह मंडलों से जुड़े प्रकरण की सुनवाई की व्यवस्था की गई.
लव जिहाद रोकने के लिए कानून बनाकर जब घिरी योगी सरकार
योगी सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लेकर आई तो इसको लेकर सरकार पर खूब हमले भी हुये. सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए गए. लेकिन योगी सरकार का स्पष्ट मत है कि वो उन बच्चियों, महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए कानून लेकर आये हैं, जिनके साथ छल, कपट, बलपूर्वक और धोखे से विवाह करके उनकी जिंदगी तबाह की जाती रही है. उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध कानून के तहत ऐसे धर्म परिवर्तन को एक अपराध की श्रेणी में माना जाएगा. जो छल, कपट, प्रलोभन और बलपूर्वक किया गया हो. इसके लिए कठोर दंड के भी प्रावधान किये गये हैं.
धर्मांतरण कानून की खास बातें
-अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के संबंध में ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए वृहद दंड का प्रावधान किया गया है.
-सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त करके उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान
-केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन की स्थिति में विवाह को ही शून्य माना जायेगा. यानि कि विवाह स्थगित माना जायेगा.
-इस कानून के तहत मिथ्या निरूपण, बल, प्रलोभन या किसी कपट पूर्ण माध्यम द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए विवश किए जाने पर उस कृत्य को एक संज्ञेय अपराध माना गया है. संबंधित अपराध गैर जमानती प्रकृति का होने और उक्त अभियोग को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बताये जाने का प्रावधान किया जा रहा है.
ये होगा दंड का प्रावधान
-उपबंधों का उल्लंघन करने हेतु कम से कम एक वर्ष, अधिकतम पांच वर्ष की सजा और जुर्माने की राशि 15000 से कम नहीं होगी. इसका प्रावधान किया गया है.
-अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के संबंध में धारा-तीन के उल्लंघन पर कारावास होगा. कारावास कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष है. ऐसी परिस्थिति में जुर्माने की राशि 25 हजार से कम नहीं होगी.
-सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में कम से कम तीन साल जेल की सजा. ये सजा 10 वर्ष तक हो सकती है. जुर्माने की राशि 50 हजार से कम नहीं होगी.
विवाह करने वालों को सूचना देनी होगी
-कानून के तहत धर्म परिवर्तन के इच्छुक होने पर भी तय प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व सूचना देनी होगी. इसका उल्लंघन किए जाने पर छह माह से तीन वर्ष तक की सजा और कम से कम 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है.