लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर हो रहे गठबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. बसपा सुप्रीमो ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वह लोकसभा चुनाव 2024 अपने दम पर ही लड़ेंगी. इसके अलावा विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अकेले दम पर ही मैदान में उतरेगी. मायावती ने यह जरूर कहा है कि हरियाणा और पंजाब में पार्टी रीजनल पार्टियों से गठबंधन कर सकती है, बशर्ते वे पार्टियां सत्ता दल या विपक्षी दल के गठबंधन का हिस्सा न हों.
कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि 'कांग्रेस ने पूरी ईमानदारी से जनहित में कार्य किया होता और डॉ. भीमराव आंबेडकर की बात मानी होती तो उन्हें इस्तीफा नहीं देना पड़ता, जिससे देश में और अधिकांश राज्यों से कांग्रेस को सत्ता से बाहर न होना पड़ता. कांग्रेस पार्टी अपनी जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करके फिर से केंद्र की सत्ता में आने के लिए सपने देख रही है तो वहीं सत्ताधारी बीजेपी भी केंद्र की सत्ता में आने के लिए एनडीए गठबंधन को हर मामले में मजबूत बनाने में लगी है. कह रहे हैं इस बार बीजेपी और उनका गठबंधन 300 से ज्यादा सीटें लाएगी. इनकी कथनी और करनी में कांग्रेस पार्टी की तरह कोई खास अंतर नजर नहीं आता है. अब यह दोनों बने गठबंधन एनडीए और परिवर्तित यूपीए केंद्र की सत्ता में आने के लिए अपने-अपने दावे ठोक रहे हैं.'
मायावती ने कहा कि 'जनता को किए गए वायदे आश्वासन आदि सत्ता में बने रहने के दौरान अधिकांश खोखले ही साबित हुए हैं. वैसे भी कांग्रेस और बीजेपी एंड कंपनी के बने गठबंधन की अब तक रही सरकार की कार्यशैली यही बताती है कि इनकी नीति, नीयत और सोच में सर्व समाज से विशेषकर गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति लगभग एक जैसे ही रहे हैं. इन्होंने सत्ता में रहकर शुरू से कागजी खानापूर्ति ही की है. जमीन पर कोई ठोस काम नहीं किया है. जब सत्ता से बाहर हो जाते हैं तब फिर वोट की खातिर इनके हितों में काफी लंबी चौड़ी बातें करते हैं. उन्होंने कहा कि गठबंधन से मजबूत नहीं बल्कि मजबूर सरकार बनेगी. बीएसपी के सत्ता में न आने की स्थिति में भी इन कमजोर वर्गों का ज्यादा शोषण न हो पाए इसलिए बीएसपी को मजबूत करना होगा. बीएससी को भी सत्ता में आसीन होने का मौका मिल सकता है. अब बीएसपी को लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव लड़कर अपनी पार्टी का बेहतर रिजल्ट लाना होगा.'