लखनऊ: कोरोना जैसी महामारी से देश का हर वर्ग किसी न किसी रूप में प्रभावित है. लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद इससे सबसे ज्यादा दैनिक मजदूरी करने वाले लोग प्रभावित हुए हैं. इसी वर्ग में ऑटो चालकों का भी महत्वपूर्ण स्थान है. ऑटो चालक ऑटो चला कर हर माह कम से कम 15 हजार रुपये कमा लेते थे. वह ऑटो चालक अब लॉकडाउन के चलते उधार मांग कर किसी तरह गुजर- बसर करने को मजबूर हैं. मुफलिसी के दौर में उनका परिवार पाई-पाई को मोहताज हो गया है. घर की रसोई में बमुश्किल एक समय खाना पक पाता है. चिंता की लकीरें उनके माथे पर साफ नजर आती हैं. परिवार को पालना इस समय किसी चुनौती से कम नहीं लग रहा है.
इनमें से ही एक ऑटो चालक राजेश हैं, जो आम दिनों में रोजाना सुबह ऑटो लेकर सड़क पर निकल जाता था. दिन भर मेहनत से ऑटो चलाने के बाद शाम को राजेश अपने परिवार के साथ खुशी से रहता था. अब लॉकडाउन से राजेश की कमाई के सारे रास्ते लॉक हो गए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए राजेश की आंखें बोझिल हो गईं. राजेश ने बताया कि उसका परिवार सीतापुर में रहता है. किसी तरह ऑटो चला कर वह जिंदगी गुजार रहे हैं. किराए का घर है और महीने में किराया भी भरना पड़ता है. छोटे-छोटे बच्चे हैं उन्हें भी पालना है, लेकिन लॉकडाउन ने सब बेकार कर दिया है. राजेश का कहना है कि पूरा एक पैकेट दूध का बच्चों के लिए लाते हैं लेकिन अब दूध लेने में दिक्कत हो रही है. ऑटो नहीं चलने की वजह से वह लोगों से उधार लेकर बच्चों के लिए दूध लाता है.