लखनऊःपैसा फेंको, तमाशा देखो. यह कहावत जेल से लखनऊ न्यायालय में पेशी पर आए रसूखदार बंदियों पर सटीक बैठती है. चंद रुपयों की खातिर कानून के प्रहरी पेशी पर आए बंदी को परिजनों से मिलने की इजाजत ही नहीं बल्कि उन्हें शौक पूरा करने की भी छूट तक दे देते हैं. पेशी के बहाने जेल से निकलकर बंदी मौज-मस्ती करते हैं. पेशी के दौरान उन्हें नशे से लेकर मोबाइल फोन आसानी से उपलब्ध हो जाता है. इसका ताजा उदाहरण 5 मार्च को लखनऊ के जॉइंट कमिश्नर ऑफिस से चंद कदम दूर कचहरी में पेशी पर आए ठाकुरगंज के श्रवण साहू हत्याकांड के मुख्य आरोपी अकील अंसारी ने एक प्रॉपर्टी डीलर को धमकी दी.
पेशी के दौरान प्रापर्टी डीलर को दी धमकी
हरदोई जिला जेल में बंद अकील अंसारी द्वारा पेशी के दौरान प्रॉपर्टी डीलर को धमकी दिए जाने का यह पहला मामला पहला नहीं है. इससे पहले भी शातिर अपराधियों को होटल व अन्य स्थानों पर मौज-मस्ती करते पकड़ा जा चुका है. बता दें कि हरदोई जिला जेल में बंद अकील अहमद का सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ था. ऑडियो 5 मार्च का बताया जा रहा है. वॉयरल ऑडियो में अकील ने मूलरूप से रायबरेली निवासी और ठाकुरगंज में प्रापर्टी डीलर का काम कर रहे युवक शरजील से पेशी के दौरान कचहरी में मिलने को कह रहा है.
ये भी पढ़ें-श्रवण साहू हत्याकांड के आरोपी अकील का ऑडियो हुआ वायरल
पुलिस की मौजूदगी में मौज-मस्ती करते पकड़ा गया था इनामी बदमाश
डेढ़ वर्ष पूर्व पुलिस ने सीरियल किलर सोहराब और दिल्ली पुलिस की टीम को होटल से गिरफ्तार किया था. यहां सीरियल किलर सोहराब दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में होटल में अपने परिवार के साथ दरबार सजाए बैठा था. पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. कुछ समय पहले डीजीपी मुख्यालय के पास एक होटल में पंचायत चुनाव में बूथ लूटने के आरोप में बंद गोरखपुर के रासुका बंदी व उनके गुर्गे मौज-मस्ती करते पकड़े गए थे. यहीं नहीं एसटीएफ ने बिहार पेशी के लिए जा रहे पांच लाख के इनामी बदमाश गुड्डू राय को पुलिस अभिरक्षा में बार्लिंग्टन चौराहा स्थित एक होटल से शराब-कबाब के साथ मौज-मस्ती करते रंगे हाथ पकड़ा था. कानूनी कार्रवाई के बाद उसे जेल भेज दिया गया. लेकिन कुछ दिन सख्ती के बाद फिर बंदियों का खेल शुरू हो गया.
जेल जाने के बजाय दोस्त के घर पहुंच गया था माफिया
इसी के थोड़े दिन बाद बिहार से तत्कालीन माफिया विधायक राजन तिवारी को लखनऊ पेशी पर लाया गया. राजन तिवारी पुलिस अभिरक्षा में दल-बल के साथ देर शाम लखनऊ पहुंचे लेकिन जेल जाने के बजाय वो हजरतगंज इलाके के जियामऊ में अपने एक करीबी दोस्त के घर पहुंचकर बच्चे की बर्ड-डे पार्टी में शरीक हुए. पूरी रात दोस्तों और पुलिसकर्मियों के साथ मौज-मस्ती की. सुबह यहीं से कोर्ट पेशी पर चले गये. पेशी के बाद जेल पहुंचने पर बवाल शुरू हुआ. जांच पड़ताल के बाद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
पेशी के बाद नशे में धुत होकर जेल पहुंचता है हिस्ट्रीशीटर
चारबाग के एक हिस्ट्रीशीटर के बारे में पुलिस महकमे में चर्चा है कि वह पेशी के दौरान तुलसी काम्प्लेक्स स्थित एक मशहूर कबाब की दुकान पर ही डिनर करता है. उसके बाद ही जेल जाता है. शराब के नशे में धुत होकर जेल पहुंचने पर उसका कई बार मेडिकल हुआ, कार्रवाई के लिए लिखा गया, लेकिन उसका कुछ नहीं बिगड़ा. इसी तरह मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में जेल में बंद विधायक अमरमणि त्रिपाठी का शूटर संतोष राय भी अस्पताल और होटल में मौज करते पकड़ा जा चुका है.
बंदियों को कोर्ट में लाने की ये है व्यवस्था
- न्यायालय में रोजाना आठ से दस हजारवादों की सुनवाई होती है.
- बंदियों की आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए डीजे, बहुखंडीय, सिविल बिल्गडिंग, रोशनदौला और फैमिली कोर्ट समेत कुल 69 कोर्ट हैं.
- लखनऊ और अन्य जनपदों से लगभग रोजाना 2000 से 3000 विचाराधीन बंदी पेशी पर लाए जाते हैं.
- जिला जेल से बंदियों को पेशी पर लाने व ले जाने के लिए महिला वाहन समेत पांच पुलिस वैन हैं. (आवश्यकतानुसार घटती बढ़ती है।)
- बंदियों को रखने के लिए लॉकअप में महिला सेल समेत कुल चार हॉल बनाए गए हैं.
- बंदियों को न्यायालय में सुरक्षा व पेशी कराने के लिए पुलिस लाइन से चार दारोगा, दस मुख्य आरक्षी समेत करीब सवा सौ सिपाही लगाए गए हैं.
ये है नियम
वकील नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद जेल से बंदी वैन से न्यायालय परिसर स्थित लॉकअप में लाया जाता है. फिर सिपाही वहां से संबंधित कोर्ट में पेश करता है. नियमानुसार उसे लॉकअप से सीधे कोर्ट और वहां से सीधे लॉकअप लाना होता है.