लखनऊ : अपना राजस्व बढ़ाने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी तमाम तरह के जतन कर रहे हैं. राजस्व बढ़ाने अजब तरीके का खुलासा होते ही अब बिजली विभाग के अधिकारियों के माथे पर पसीना आने लगा है. उत्तर प्रदेश के अनेक जनपदों में प्रदेश की बिजली कंपनियों ने राजस्व बढाने के नाम पर गुपचुप तरीके से ग्रामीण फीडरों पर विद्युत आपूर्ति अधिक होने और आईपीडीएस टाउन के नाम पर उस फीडर के सभी हजारों उपभोक्ताओं की सप्लाई टाइप चेंज कर दिया है. ऐसे में ग्रामीण टैरिफ की दर पर हो रही बिलिंग अब शहरी टैरिफ के आधार पर बिल भरना पड़ रहा है. इससे कई जनपदों में उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में दोगुने का अंतर आ गया है.
विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा वर्ष 2016 में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने पहले ही यह फैसला सुना दिया था कि मात्र आपूर्ति घंटे बढ़ाए जाने के कारण किसी ग्रामीण पोषक पर शहरी दरें नहीं लागू की जा सकतीं. जब तक कि ग्रामीण पोषक को बिजली कंपनी द्वारा शहरी पोषक न घोषित किया जाए. सिर्फ आपूर्ति बढ़ाए जाने पर ही बिलिंग नहीं बदली जा सकती. उसके लिए स्टैंडर्ड परफॉर्मेंस से लेकर सभी व्यवस्था में बदलाव करना पड़ता है. पाॅवर काॅरपोरेशन की तरफ से इसे सख्ती से लागू करने के लिए वर्ष 2018 में विधिवत सभी प्रबंध निदेशकों के लिए आदेश जारी किया गया था.